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कर सकेगी। अब हम मंजिल के निकट पहुंच ही रहे हैं, सत्य अब हम से दूर नहीं है। आखिरकार सत्य कब तक हम से बच सकता है।
गलतियां करने से भूल करने से, कुछ गलत करने से कभी भी भयभीत मत होना।
यह प्रश्न प्रेम निशा का है। वह हमेशा गलतियां करने से भयभीत रहती है। वह इतनी अधिक भयभीत है कि वह यहां भी छिपकर बैठती है; मैं उसे कभी देख ही नहीं पाता हूं। शायद मेरी एक दृष्टि, और उसे खतरा हो जाएगा तो वह स्वयं को छिपाकर रखती है। मैं जानता हूं कि वह यहां पर मौजूद है, हर रोज वह यहीं कहीं बैठी होती है। लेकिन वह ऐसे कहीं किसी खंभे के पीछे छिपकर बैठती है, कि मैं उसे देख नहीं पाता हूं। और अगर कभी मेरे सामने भी बैठी होती है, तो वह अपना सिर इतना नीचे झुका लेती है कि मैं उसे पहचान ही नहीं पाता कि वह कहां है।
जीवन एक प्रवाह है। तुम बैठे भी रह सकते हो, लेकिन तब जीवन मृत्यु की तरह होगा। उठो और चल पड़ो जोखिम उठाओ, खतरे में जीओ।
निशा की हालत उस छोटे से लड़के की भांति है.
वाइज विनफ्रेड वन – विहार की शिक्षा, पदयात्रा और जल यात्रा के पुरस्कार लेकर एक ग्रीष्मशिविर से घर वापस लौटा था, और उसे एक छोटा स्टार भी मिला था। जब उससे पूछा कि उसे यह स्टार किस बात के लिए मिला है, तो विनिफ्रेड बोला, 'घर लौटते समय, अपना समान बहुत ही अच्छे ढंग से ट्रैक में बंद करने के लिए उसे यह पुरस्कार मिला है।' उसकी मां तो बहुत खुश थी, जब तक विनफ्रेड ने यह नहीं बताया कि मैंने उस ट्रक को खोलकर कभी कुछ निकाला ही नहीं था। तो निशा, बंद सामान को खोलो। इससे भयभीत मत होओ कि शायद तुम उतने अच्छे ढंग से उसे फिर से पैक नहीं कर पाओगी। थोड़ी-बहुत अव्यवस्था अच्छी होती है, उसमें कुछ हर्ज नहीं है। लेकिन बंधा हुआ और बंद जीवन जीए चले जाना, जीवन के साथ एकमात्र गलती है। यह जीवन के प्रति एक अस्वीकृति है।
और जीवन को अस्वीकार करना परमात्मा को अस्वीकार करना है। अस्तित्व ने तुम्हें यहां जीने के लिए भेजा है जितना संभव हो सके उतने गहन रूप से जीने के लिए; जितना संभव हो सके उतने खतरनाक ढंग से जीने के लिए संपूर्ण अस्तित्व चाहता है कि तुम जीवंत हो जाओ, तुम्हारा रोआं रोआं जीवंत हो जाए, इतना जीवंत कि जीवंतता की पराकाष्ठा पर पहुंच जाए इसीलिए तुम्हें यहां भेजा गया है और तुम भयभीत हो कि कहीं कुछ गलत न हो जाए।
परमात्मा को तुम्हें भेजने में कोई भय नहीं है। वह जरा भी भयभीत नहीं है। वह सभी तरह के लोगों को भेजता है-अच्छे-बुरे, पुण्यात्मा पापी सभी तरह के लोगों को भेजता है वह लोगों को भेजता ही
चला जाता है। वह जरा भी भयभीत नहीं है।
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