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सामना कर सकता है। सभी तरह की समस्याएं मिट जाती हैं, विलीन हो जाती हैं प्रज्ञा की अग्नि में सभी प्रकार की समस्याएं जलकर राख हो जाती हैं।
हां, तब अगर हम काम – वृत्ति पर संयम ले आएं तो काम-वृत्ति की इच्छा तिरोहित हो जाएगी। और फिर यह कोई काम इच्छा को पराजित करना नहीं है, हम उसका अतिक्रमण कर लेते हैं, उसके पार चले जाते हैं।
'क्या आपको ऐसा नहीं लगता है कि यह दोनों कथन परस्पर विरोधी हैं...?'
नहीं, मैं ऐसा नहीं समझता। तुम एकदम उलझे हुए आदमी हो, और यह उलझाव तुम्हारे ही सिद्धांतो और तुम्हारी ही विचारधारा के कारण पैदा हुआ है। सिद्धांत हमेशा ही उलझाने वाले होते हैं।
तुम हमेशा अपने सिद्धांतो और शास्त्रों की आड में सुनने-समझने की कोशिश करते हो। और ऐसे एक भी भारतीय को खोज पाना बहुत कठिन है जो सीधे-सीधे कुछ सुनने की कोशिश करे। उसके भीतर तो भगवद्गीता, और वेद, और उपनिषद के श्लोक चल रहे होते हैं। भारतीय लोग तोता - रटंत हो गए हैं। वे किसी बात को बिना समझे ही दोहराए चले जाते हैं, क्योंकि अगर समझ हो तो फिर किसी तरह की कोई भगवद्गीता की जरूरत ही नहीं रह जाती है।
अगर स्वयं की समझ हो तो व्यक्ति का अपना ही दिव्य गीत जन्म लेने लगता है, वह अपना ही गीत गाता है। तब स्वयं की निजता से ही कुछ जन्मने लगता है। कृष्ण ने अपनी बात कही, तुम वैसा ही क्यों करना चाहते हो? क्यों कृष्ण की अनुकृति बनना चाहते हो, क्यों उनका अनुसरण करते हो? और इस तरह नकल करके तुम एक अनुकृति मात्र बनकर रह जाओगे। सभी भारतीय, लगभग सभी भारतीय बस दूसरों का अनुकरण ही करते रहते हैं, उनके चेहरे नकली हैं, वे मुखौटे लगाए हुए हैं। और भारतीय लोग यही माने चले जा रहे हैं कि उनका देश बड़ा धार्मिक है। जब कि ऐसा नहीं है। भारत दुनिया के सबसे होशियार - चालाक देशों में से एक है।
'क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि यह दोनों कथन परस्पर विरोधी है, क्योंकि अगर कोई व्यक्ति कामवासना पर या काम-वृत्ति पर एकाग्र होता है तो वह कर्ता हो जाता है और अहंकारी बन जाता है?'
यह तुमसे किसने कहा कि अगर तुम कामवासना पर संयम ले आओ तो कर्ता हो जाओगे? संयम का अर्थ है साक्षी हो जाना, विशुद्ध रूप से साक्षी हो जाना। जब तुम साक्षी हो जाते हो, तो कर्ता नहीं रह सकते हो। जब तुम कामवृत्ति को ठीक से देख समझ लेते हो तो फिर तुम कैसे कर्ता बने रह सकते हो? जब तुम काम – वृत्ति को साक्षी भाव से देख लेते हो, तो तुम उससे अलग हो जाते हो। दृश्य द्रष्टा से अलग हो जाता है। तुम यहां मुझे देख रहे हो। निश्चित ही तुम अलग हो और मैं
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