________________ तामिनो ने उस मूर्ति की आंखों में झांका और बोला, 'भगवान बुद्ध, क्या आपकी धर्म -देशना सत्य थी?' प्रतिमा ने उत्तर दिया, 'सत्य भी थी और असत्य भी।' तामिनो ने पूछा, 'उसमें सत्य क्या था?' 'करुणा और प्रेम।' 'और उसमें झूठ क्या था?' 'जीवन से भागना, पलायन।' 'तो क्या मुझे जीवन में फिर से लौटना होगा?' लेकिन तब तक उस मुख –मंडल की आभा धुंधली होने लगी और वह फिर से पत्थर में परिवर्तन हो गयी। यह बड़ी सुंदर कथा है। ही, तामिनो को जीवन में वापस लौटना पड़ा। व्यक्ति को समाधि से फिर प्रेम पर वापस आना होता है। इसीलिए समाधि-जिसमें मृत्यु का अनुभव मिलता है, उसके तुरंत बाद आता है पतंजलि का यह सूत्र 'मैत्री पर संयम संपन्न करने से या किसी अन्य सहज गण पर संयम संपन्न करने से उस गुणवत्ता विशेष में बड़ी सक्षमता आ मिलती है।' समकालीन मनोवैज्ञानिक भी इससे किसी सीमा तक सहमत होंगे। अगर निरंतर किसी एक ही बात के बारे में सोचा जाए, तो धीरे - धीरे वह मूर्त रूप लेने लगती है। तुमने एमाइल कुए का नाम सुना होगा, और अगर तुमने उसका नाम नहीं सुना है तो तुमने उसका यह वाक्य जरूर सुना होगा प्रतिदिन मैं अच्छे से अच्छे होता जा रहा हूं। उसने हजारों मरीजों की -जो बहुत ही पीड़ा तकलीफ और परेशानी में थे, ऐसे हजारों पीड़ित लोगों की फाइल कुए ने बहुत मदद की थी। और यही उसकी एकमात्र दवाई थी। वह बस मरीजों से यही कहता था कि दोहराते रहो प्रतिदिन मैं अच्छे से अच्छा होता जा रहा हूं। बस इसे दोहराते रही, और उसे अनुभव करो, अपने चारों ओर बस इसी विचार की तरंगों को फैलाओ कि 'मैं ठीक हो रहा ह, मैं ज्यादा स्वस्थ हो रहा ह, मैं ज्यादा प्रसन्न हं।' और हजारों लोगों को इससे मदद मिली और इस बात के दोहराने से बहुत से लोग स्वस्थ हो गए। उनकी मानसिक बीमारियां ठीक हो गईं। वे अपनी मुसीबतो व चिंताओं से मुक्त हो गए। वे ठीक होकर सामान्य होने लगे, उनमें फिर से जीवन का संचार हो गया, और इसके लिए उन्हें कुछ खास नहीं करना पड़ा -बस एक छोटा सा मंत्र।