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'ओह ऐमी, हेरी ने मेरे लिए क्या -क्या किया और आगे वह क्या -क्या करने वाला है, यह सब बातें मैं इतनी तेजी से कह गई कि मैं यह पूछना तो भूल ही गई कि तुम्हारे ऐबी ने तुम्हारे लिए क्याक्या किया?'
'ओह, हमारी जिंदगी साथ -साथ खूब अच्छी गुजरी।'
'लेकिन उसने विशेष रूप से तुम्हारे लिए क्या -क्या किया?'
'उसने मुझे चार्म -स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा।'
'तुम्हें चार्म –स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा? तुम चार्म –स्कूल में किसलिए जाती थीं?'
'यह सीखने के लिए कि व्यर्थ की बकवास को फेंटास्टिक कैसे कहना!'
यही तो है योग का सार-तत्व-कि तुम अपने इस अनूठेपन के प्रति, फेंटास्टिक के प्रति जागरूक हो जाओ। समाधि खड़ी तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है, और तुम हो कि अभी भी कचरे में ही पड़े हुए हो। तुम्हें स्वयं को बंधनों से मुक्त करके, उन बंधनों से बाहर होना है। बिना समाधि के अब बहुत हो चुका।
और इसका निर्णय कोई दूसरा नहीं ले सकता है। इसका निर्णय तुमको ही लेना है। अभी जैसे तुम हो यह तुम्हारा अपना ही निर्णय है। और तुमको ही परिवर्तित होना है, तुमको ही रूपांतरित होना है, यह निर्णय भी अपना ही होगा।
मैं तुम से केवल इतना ही कह सकता हूं कि जीवन अनूठा है। और वह तुम्हारे करीब ही है और तुम उसे अपने ही कारण चूक रहे हो। अब और चूकने की आवश्यकता नहीं है।
और योग कोई ऐसा दर्शन नहीं है जो केवल आस्था और विश्वास के आधार पर खड़ा हो। योग तो एक संपूर्ण विधि है, एक वैज्ञानिक विधि। उस विलक्षणता को कैसे उपलब्ध कर लेना, यह जानने की एक वैज्ञानिक विधि है।
आज इतना ही।