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ह एक व्यक्ति किनारे पर ही है अगर साहस करो, तो किसी भी क्षण छलांग लगाना संभव है।
हर पल तुम्हें किनारा उपलब्ध है। और जब तुम पूछते हो कि किनारे तक कैसे आऊं, तो तुम चालाकी कर रहे हो। होशियार बनने की कोशिश मत करना। तुम्हारा प्रश्न होशियारी से भरा हुआ है, तुम अपनी होशियारी के द्वारा स्वयं को सांत्वना दे सकते हो कि तुम कायर नहीं हो, क्योंकि जब किनारा ही नहीं है, तो छलांग कहां से लगाएं ?
इसलिए पहले तो किनारा खोजना है और वह कभी मिलेगा नहीं, क्योंकि वह तो तुम्हारे सामने ही मौजूद है। जहां कहीं भी तुम खड़े हो, हमेशा किनारे पर ही खड़े हो, जहां से तुम कभी भी, किसी भी पल छलांग लगा सकते हो।
और तुमने बड़ी ही होशियारी का प्रश्न पूछा है कि पहले तो मुझे यह सिखाएं कि किनारा कैसे पाना है?'
थोड़ा अपने आगे देख लेना। बस, ठीक से देख लेना। तुम कहीं भी हो, उससे कुछ अंतर नहीं पड़ता है।
और तुम कहते हो,........मैं देखता हूं कि आप हमें किसी भी तरह से जगाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन फिर भी मैं समझ नहीं पा रहा हूं।'
हुए
समस्या इस बात की नहीं है कि तुम सोए हुए हो अगर तुम सोए हुए हो, तो तुम्हें किसी भी तरह से नींद से बाहर ले आना कहीं ज्यादा आसान है। लेकिन तुम तो केवल दिखावा कर रहे हो कि तुम सोए • हो। फिर मामला थोड़ा मुश्किल है। तुम देख सकते हो कि मैं तुम्हें सब तरह से जगाने का प्रयास रहा हूं, लेकिन फिर भी तुम हो कि सोने का दिखावा किए चले जा रहे हो अगर तुम सच में ही हु हो, तो तुम कैसे देख सकते हो कि मैं तुम्हें जगाने का हर संभव प्रयास कर रहा हूँ।
सोए
मँ
तुम से एक कथा कहना चाहूंगा:
गर्मी की एक दोपहर एक पिता ने बच्चों को वादा किया कि वे लोग सैर के लिए जाएंगे लेकिन उसकी जाने की बिलकुल भी इच्छा नहीं थी। कई महीनों से वह उस छुट्टी की प्रतीक्षा कर रहा था कि उस दिन आराम करना है। इसलिए उसने दिखाया ऐसे जैसे कि वह गहरी नींद में है। पिता सोने का नाटक कर रहा था, और बच्चे पूरी कोशिश कर रहे थे कि किसी भी तरह से रविवार की दोपहर वे अपने पिता को सोने न दें, ताकि उन्होंने जो वादा किया है उसके मुताबिक वे उन्हें सैर के लिए ले जाएं। लेकिन बच्चों की सभी कोशिशें असफल रहीं। उन्होंने पिता को जगाने की तरह-तरह की कोशिशें कीं। उन्होंने पिता को झंझोड़ा, वे उनके पास जोर जोर से चिल्लाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । उनकी सभी कोशिशें असफल हो गईं। बच्चे भयभीत हो गए कि आखिर पिता को हो क्या गया है । और पिता था कि सोए रहने का दिखावा ही किए जा रहा था। जब बच्चों से रहा न गया तो