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होता है-जब इस अशुद्ध संसार में तुम शुद्धता की भाति बिना किसी भय के आते हो, क्योंकि अब तुम्हें अशुद्ध नहीं किया जा सकता।
मार के कारागृह में अपनी स्वेच्छा से वापस लौट आते हो, जब मुक्त मनुष्य की भांति कारागृह में लौट आते हो, और कारागृह को स्वीकार कर लेते हो, अपनी ही कारागृह की कोठरी में लौट आते हो, तो फिर कारागह कारागह नहीं रह जाता है, क्योंकि स्वतंत्रता को कारागह में नहीं रखा जा सकता है। केवल गुलाम आदमी ही कारागृह में कैद रह सकता है। मुक्त आदमी किसी भी प्रकार की कैद में नहीं रह सकता है-संभव है वह कारागृह में रहता हो, लेकिन फिर भी मुक्त होता है। जब तक. तुम्हारी स्वतंत्रता इतनी शक्तिशाली नहीं हो जाती है, तब तक उसका कोई मूल्य नहीं है।
अब हम सूत्रों में प्रवेश करेंगे:
'समाधि' शब्द को अंग्रेजी में अनुवाद करना बहुत कठिन है। इसके समानांतर अंग्रेजी में कोई शब्द नहीं है। लेकिन ग्रीक भाषा में ऐसा शब्द है जो कि समाधि के समानांतर है. वह है 'ऐटरेक्सिआ'। ग्रीक भाषा के इस शब्द का अर्थ है मौन, शांति, गहन आंतरिक संतोष।
यही 'समाधि' का भी अर्थ है इतने संतुष्ट हो जाना कि फिर कोई चीज अशांत न कर पाए, कि कोई भी बात शांति को भंग न कर पाए। अस्तित्व के साथ एक लयबद्धता, एक तालमेल हो जाए; अस्तित्व के साथ एक रूप हो जाए -कि अस्तित्व और तुम अलग-अलग न रह जाओ। फिर कोई समस्या ही नहीं रह जाती है। अब कोई दूसरा है ही नहीं जो कि शांति को भंग कर सके, फिर दूसरा जैसा कुछ बचता ही नहीं, एक ही रह जाता है। दूसरा तो विचारों के बिदा होने के साथ-साथ ही बिदा हो जाता है। जहां विचार होते हैं, वहीं दूसरा होता है। निर्विचार अवस्था ही समाधि है, ऐटरेक्सिआ है। निर्विचार अवस्था ही शांति है, मौन है।
जब निर्विचार अवस्था उपलब्ध हो जाती है, तो ऐसा नहीं है कि विचार की क्षमता नहीं रह जाती है। नहीं, ऐसा नहीं होता है। सोचने की, विचारने की शक्ति समाप्त हो जाएगी, ऐसा नहीं है। इसके विपरीत सच तो यह है जब शून्य में, निर्विचार में व्यक्ति जीता है, तो पहली बार विचारने की, मनन की क्षमता का आविर्भाव होता है।
इससे पहले तो व्यक्ति केवल सामाजिक वातावरण का, स्वयं के ही विचारों का शिकार होता है, जिनसे कि वह निरंतर घिरा होता है -एक विचार भी स्वयं का नहीं होता है। विचार तो हमेशा मौजूद रहते हैं, लेकिन विचार करने की क्षमता नहीं होती है। वे विचार मन में ऐसे ही बसेरा कर लेते हैं, जैसे शाम को पक्षी वृक्षों पर आकर बसेरा कर लेते हैं। वे विचार दूसरों के द्वारा दिए गए विचार हैं। वे विचार मौलिक नहीं हैं, सब उधार हैं।