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दूसरा प्रश्न :
ऐसे बहुत से लोग हैं जो आपके प्रवचनों में एक प्रकार का विरोधाभास अनुभव करते हैं। एक बार आपने हमें समझाया भी था कि ऐसा क्यों होता है। लेकिन मुझे आपके प्रवचनों में आज तक एक भी विरोधाभास नहीं मिला जबकि कहीं न कहीं विरोधाभास तो होगा ही। लेकिन चाहे मैं उसे समझने की कितनी ही कोशिश क्यों न करूं मैं उसे नहीं समझ सकता हूं। क्या मुझ में कुछ गलत है? कृपया इसे समझाएं।
में कुछ भी गलत नहीं है। गलत वे लोग हैं जो कि विरोधाभासों को देखते ही चले जाते
हैं। लेकिन अधिक संख्या उन्हीं लोगों की है, उनके सामने तुम अकेले पड़ जाओगे। इसलिए तुम उन लोगों से प्रभावित मत हो जाना। ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, अत: उनके प्रभाव में मत आ जाना। अकेले बने रहना। सत्य कभी भी भीड़ के साथ नहीं होता है, सत्य हमेशा व्यक्तिगत होता है। सत्य भीड़ के साथ नहीं होता है, वह बहुत थोड़े से विरले लोगों के साथ ही होता है। सत्य भीड़ के साथ नहीं होता है; वह तो थोड़े से बेजोड़ लोगों के साथ होता है। इस भेद को समझ लेना।
जगत में वैज्ञानिक सत्य ही एकमात्र सत्य नहीं है। सच तो यह है, विज्ञान सत्य को स्वीकार नहीं कर पाता है, विज्ञान तो केवल जो बात बार-बार दोहराई जाती है उसकी ही सुनता है। विज्ञान में यही
ता है कि जब तक कोई प्रयोग बार -बार दोहराया नहीं जाए, उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। जब कोई प्रयोग बार-बार दोहराया जाए और उसका एक ही परिणाम आए, तब वह सत्य है। धार्मिक सत्य अकेले का होता है। बुद्ध जैसा दूसरा व्यक्ति फिर से नहीं हो सकता, जीसस जैसा व्यक्ति फिर से नहीं हो सकता। वे एक बार ही होते है और फिर खो जाते हैं। वे अंधकार में चमकते हुए सूरज की तरह आते हैं, और फिर शून्य में विलीन हो जाते हैं और फिर से उनके होने का कोई उपाय नहीं है। इसीलिए विज्ञान उन्हें अस्वीकार करता चला जाता है, क्योंकि विज्ञान केवल उसी बात में विश्वास करता है जो यंत्र की तरह दोहराई जा सकती हो। अगर बुद्ध फोर्ड-कारों की तरह किसी फैक्टरी में बनकर तैयार हो सकते हों, तब विज्ञान उन पर भरोसा कर सकता है। लेकिन बुद्धों के साथ ऐसा संभव नहीं है।
धर्म तो उन थोड़े से बेजोड़, अदवितीय, विरले लोगों का होता है, जिन्हें दोहराने का कोई उपाय नहीं है, जिनकी कोई पुनरावृत्ति नहीं हो सकती है। और विज्ञान पुनरावृत्ति में, दोहराने में भरोसा करता है। इसीलिए विज्ञान मन का ही हिस्सा है, और धर्म मन के पार जाता है। क्योंकि जिस किसी चीज की