________________
लिए होता है। जो जानते नहीं हैं कि कैसे चलना है, जो पंगु होते हैं, बना -बनाया मार्ग उनके लिए होता है। जो जानते हैं कि कैसे चलना है, वे ऊबड़-खाबड़ बीहड़ से भरे जंगल के रास्तों पर चलते चले जाते हैं, और चलने से ही वे अपने मार्ग का निर्माण कर लेते हैं।
और प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग मार्गों से परमात्मा तक पहुंचता है। कोई भी व्यक्ति किसी समूह के साथ, या भीड़ के साथ परमात्मा तक नहीं पहुंच सकता है। प्रत्येक व्यक्ति अकेला, नितांत अकेला ही परमात्मा तक पहुंच सकता है।
परमात्मा अपनी स्वाभाविक अवस्था में ही है। वह अभी सभ्य नहीं हुआ है। और मुझे पक्का भरोसा है कि वह कभी सभ्य होगा भी नहीं। परमात्मा अभी भी स्वाभाविक है; और वह सहजता से, स्वाभाविकता से ही प्रेम करता है। तो अगर तुम्हारा अंतस स्वभाव समुद्र के तट पर आराम करने को कहता है, तो वही करो। शायद वहीं से परमात्मा तमको पुकार रहा है।
मैं तो तुम्हें बस अपने सहज स्वभाव में प्रतिष्ठित हो सको, यही सिखाता हूं और कुछ भी नहीं। तुम्हारे अपने भय के कारण मुझे समझना बहुत कठिन है, क्योंकि तुम तो चाहोगे कि मैं तुम्हें जीवन का एक बना-बनाया ढांचा दे दूं जीवन की एक सुनिश्चित अनुशासन शैली दे दूं एक बना-बनाया जीवन –मार्ग दे दूं। मेरे जैसे लोगों को हमेशा गलत समझा गया है। लाओत्सु हों कि जरथुस्त्र कि एपीक्यूरस, उन्हें हमेशा गलत ही समझा गया है। इस पृथ्वी के सर्वाधिक धार्मिक व्यक्तियों को हमेशा अधार्मिक माना गया है, क्योंकि अगर सच में ही कोई धार्मिक होगा, तो तुम्हें स्वतंत्रता सिखाएगा, वह तुम्हें प्रेम सिखाएगा। वह तुम्हें कोई नियम इत्यादि न सिखाएगा; वह तुम्हें प्रेम सिखाएगा। वह जीवन के मृत ढांचे के विषय में नहीं बताएगा। वह अराजकता, अव्यवस्था, सिखाएगा क्योंकि केवल उस अराजकता और अव्यवस्था में से ही प्रज्ञावान लोगों का जन्म होता है। और केवल वही तुम्हें मुक्त होना सिखा सकते हैं।
मैं जानता हूं कि तुम्हें भय लगता है, स्वतंत्रता से भय लगता है; अन्यथा इस संसार में इतने कारागृह क्यों हों? क्यों लोग निरंतर अपने जीवन को इतने कारागृहों के घेरे से बांधकर रखते? ऐसे कारागृह के घेरे हैं जो दिखाई भी नहीं देते हैं; अदृश्य घेरे हैं। केवल दो तरह के कैदियों से मेरा सामना हुआ है : कुछ तो वे हैं जो दिखाई पड़ने वाले हैं, जो कारागृह में जीते हैं। और दूसरी तरह के वे लोग हैं जो अदृश्य कैद में जीते हैं। वे विवेक के नाम पर, नैतिकता के नाम पर, परंपरा के नाम पर, इस उस नाम पर अपनी कैदें अपने साथ लिए घूमते हैं।
बंधन और गुलामी के हजारों नाम हैं। स्वतंत्रता का कोई नाम नहीं है। स्वतंत्रता बहुत प्रकार की नहीं होती है, स्वतंत्रता का एक ही प्रकार है। क्या कभी तुमने इस पर गौर किया है? सत्य एक ही होता है। असत्य के कई रूप हैं। असत्य को कई तरह से बोला जा सकता है लेकिन सत्य को कई तरह से नहीं कहा जा सकता। सत्य सीधा-सरल है. उसे कहने के लिए एक ही ढंग पर्याप्त होता है। प्रेम एक है;