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तुम गलत प्रश्न पूछ रहे हो।
और फिर हजारों बातें लोग तुम से कहते हैं और तुम उनको पकड़ने लगते हो तुम दुनिया भर की तथाकथित विधियों, प्रणालियों, सिद्धांतों, धर्मों, मंदिरों ― चर्चों को पकड़े हुए हो। केवल मात्र एक अहंकार को गिरा देने के लिए दुनिया में तुमने तीन सौ धर्म बनाए हुए हैं। केवल एक छोटे से अहंकार को गिराने के लिए ! और इसके लिए हजारों तरह की विधियां और प्रणालिया बनाई गई हैं, किताबों पर किताबें लिखी गई हैं कि अहंकार को कैसे गिराएं और जितना अधिक पढ़ते हो, उतने ही जानकार होते चले जाते हो, उतनी ही अहंकार को गिराने की संभावना कम होती चली जाती है क्योंकि अब पकड़ने के लिए तुम्हारे पास बहुत कुछ है क्योंकि अब तक तो अहंकार प्रतिष्ठित भी हो चुका होता है....।
मैं एक जाने-माने प्रसिद्ध उपन्यासकार की आत्मकथा पढ़ रहा था। अपने जीवन के " समय में सभी से यही कहते रहे और यही शिकायत करते रहे, कि मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया।' कभी भी उपन्यासकार नहीं बनना चाहता था कभी भी नहीं । '
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किसी ने उससे पूछा, तो तुमने उपन्यास लिखना बंद क्यों नहीं कर दिया? क्योंकि कम से कम बीस साल से तो मैं यही बात सुन रहा हूं, और मैं ऐसे लोगों को भी जानता हूं जो तुम्हारी इस शिकायत को और भी पहले से सुनते आ रहे हैं, तो तुमने उपन्यास लिखना बंद क्यों नहीं कर दिया? वे बोले, 'मैं ऐसा कैसे कर सकता था? क्योंकि जिस समय मुझे मालूम हुआ कि उपन्यास लिखना मेरे अनुकूल नहीं है, उस समय तक तो मैं बहुत प्रसिद्ध हो चुका था। जिस समय मैंने कि उपन्यास लिखना मेरे अनुकूल नहीं है, तब तक मैं एक प्रसिद्ध उपन्यासकार हो
था।'
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अगर अहंकार को सजाते और संवारते ही चले जाओ, तो उसे गिराना मुश्किल है तुम्हारा ज्ञान और तुम्हारी जानकारी तुम्हारे अहंकार को सजाती-संवारती चली जाती है। तुम्हारा चर्च जाना अहंकार को सजा-संवार देता है क्योंकि फिर तुम धार्मिक कहलाने लगते हो। बाइबिल या गीता पढ़ लेना, अहंकार को संवार देता है। मैं औरों से अधिक पवित्र हूं पूरे संसार को तुम इस निंदा के भाव से देखने लगते नरक में पड़ने वाला है।
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इस दृष्टि से तुम दूसरों को देखने लगते हो। हो कि बस तुम्हारे अतिरिक्त और पूरा संसार
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तुम ऊपर से विनम्र बनने की सीधे सरल बनने की कोशिश करते हो, लेकिन कहीं गहरे में तुम्हारी सरलता में भी अहंकार छिपा बैठा होता है, वह तुम पर सवार रहता है। और इसके लिए तुम बहुत से तर्क और कारण खोज लेते हो। और सभी तर्क और कारण अहंकार को सजाने के आभूषण ही होते हैं।
भारत में एक सम्राट था, हैदराबाद का निजाम, अभी कुछ वर्ष पहले ही उनकी मृत्यु हुई। वह पूरी दुनिया में सर्वाधिक धनी व्यक्तियों में से एक था। उसके सामने राकफेलर और फोर्ड तो कुछ भी नहीं हैं। वह दुनिया का सबसे धनी आदमी था । सच तो यह है कि उसके पास कितना धन था, कोई भी