________________
एक शिष्य को भेज दें, ताकि वह मुझे जो कुछ भी इन प्रश्नों के विषय में समझाया जा सकता हो समझा सके।'
थोड़े दिनों के बाद वह काफिला और संदेशवाहक वापस लौट आए। उन्होंने राजा को बताया कि वे जरथुस्त्र से मिले। जरथुस्त्र ने अपने आशीष भेजे हैं, लेकिन आपने उनको जो खजाना भेजा था, वह उन्होंने वापस लौटा दिया है। जरथुस्त्र ने उस खजाने को यह कहकर वापस कर दिया कि उसे तो खजानों का खजाना मिल चुका है। और साथ ही जरथुस्त्र ने एक पत्ते में लपेटकर कुछ छोटा सा उपहार राजा के लिए भेजा और संदेशवाहकों से कहा कि वे राजा से जाकर कह दें कि इसमें ही वह शिक्षक है जो कि उसे सब कुछ समझा सकता है।
राजा ने जरथुस्त्र के भेजे हुए उपहार को खोला और फिर उसमें से उसी गेहूं के दाने को पाया-गेहूं का वही दाना जिसे जरथुस्त्र ने पहले भी उसे दिया था। राजा ने सोचा कि जरूर इस दाने में कोई रहस्य या चमत्कार होगा, इसलिए राजा ने एक सोने के डिब्बे में उस दाने को रखकर अपने खजाने में रख दिया। हर रोज वह उस : हिं के दाने को इस आशा के साथ देखता कि एक दिन जरूर कुछ चमत्कार घटित होगा, और गेहूं का दाना किसी ऐसी चीज में या किसी ऐसे व्यक्ति में परिवर्तित हो जाएगा जिससे कि वह सब कुछ सीख जाएगा जो कुछ भी वह जानना चाहता है।
महीने बीते, और फिर वर्ष पर वर्ष बीतने लगे, लेकिन कुछ भी चमत्कार घटित न हुआ। अंततः राजा ने अपना धैर्य खो दिया और फिर से बोला, 'ऐसा मालूम होता है कि जरथुस्त्र ने फिर से मुझे धोखा दिया है। या तो वह मेरा उपहास कर रहा है, या फिर वह मेरे प्रश्नों के उत्तर जानता ही नहीं है, लेकिन मैं उसे दिखा दूंगा कि मैं बिना उसकी किसी मदद के भी प्रश्नों के उत्तर खोज सकता हूं।' फिर उस राजा ने एक बड़े भारतीय रहस्यदर्शी के पास अपने काफिले को भेजा, जिसका नाम तशग्रेगाचा था। उसके पास ससार के कोने-कोने से शिष्य आते थे, और फिर से उसने उस काफिले के साथ वही संदेशवाहक और वही खजाना भेजा जिसे उसने जरथुस्त्र के पास भेजा था।
कुछ महीनों के पश्चात संदेशवाहक उस भारतीय दार्शनिक को अपने साथ लेकर वापस लौटे। लेकिन उस दार्शनिक ने राजा से कहा, 'मैं आपका शिक्षक बनकर सम्मानित हुआ हूं लेकिन यह मैं साफसाफ बता देना चाहता हूं कि मैं खास करके आपके देश में इसीलिए आया हूं, ताकि मैं जरथुस्त्र के दर्शन कर सकू।'
इस पर राजा सोने का वह डिब्बा उठा लाया जिसमें गेहूं का दाना रखा हुआ था। और वह उसे बताने लगा, 'मैंने जरथुस्त्र से कहा था कि मुझे कुछ समझाएं–सिखाएं। और देखो, उन्होंने यह क्या भेज दिया है मेरे पास। यह गेहूं का दाना वह शिक्षक है जो मुझे सृष्टि के नियमों और प्रकृति की शक्तियों के विषय में समझाएगां। क्या यह मेरा उपहास नहीं?'