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महावीर : मेरी दृष्टि में ___इसलिए मेरा प्रयोजन ही भिन्न है । और एक ही उपाय है उस प्रयोजन का- क्योंकि मेरा प्रयोजन तभी सिद्ध होता है, नहीं तो सिद्ध ही नहीं होता-- अगर मैं यह बता भी हूँ कि तुम कब पैदा हुए, तुम्हारी कब शादी हुई, कब लड़का पैदा हुआ तो भी मैं प्रयोजन सिद्ध नहीं होता, असिद्ध होता है क्योंकि फिर मैं तुम्हारे बहिर्जीवन पर ही जोर देता हूं और तुम्हारी दृष्टि को मैं फिर भी अन्तर्मुखी नहीं कर पाता। और तुम बहिर्मुखी जीवन दृष्टि को ही पुनः पुनः सिद्ध कर लोगे और फिर भीतर उतरने से रह जाओगे । मेरा कहना यह है कि अगर मेरी बातचीत से तुममें बेचैनी पैदा हो जाए और ऐसा लगने लगे कि पता नहीं यह बात सच है या झूठ, तो तुम मुझसे प्रमाण मत पूछो। फिर तुम प्रमाण की तलाश में निकल जाओ खुद । अगर बात झूठ भी हुई तो भी तुम वहां पहुंच जाओगे जहां पहुंचना चाहिए । और बात सही भी हुई तो भी तुम वहां पहुंच जाओगे । और जिस दिन तुम वहां पहुंच जाओगे तो जरूरी नहीं कि तुम लौटकर मुझसे कहने आओगे । जैसे समझ लो कि इस कमरे में आग नहीं लगी है और मैं तुमसे चिल्लाकर कहता हूं कि इस कमरे में आग लगी हुई है और मर जाएंगे अगर हम भीतर रहते हैं, चलो बाहर ! चलो ! और तुम कहो कि कहीं कोई ताप नहीं लगता, कोई लपट नहीं दिखाई पड़ती । और मैं तुमसे कहता हूं कि तुम बस वाहर चले चलो तो तुमको पता चल जाएगा कि मकान में आग लगी थी। जब तक तुम भीतर हो कुछ दिखाई नहीं पड़ेगा, और तुम बाहर पहुँच जाओं और सच में ही कहो कि मकान में आग नहीं लगी थी। लेकिन बाहर जाकर तुम देखोगे कि सूरज निकला है, जो तुमने कभी नहीं देखा, और ऐसे फूल खिले हैं जो तुमने कभी नहीं देखे और ऐसा आनन्द है जो तुमने कभी नहीं अनुभव किया तो तुम मुझे धन्यवाद दोगे, तुम मुझे कहोगे कि कृपा की, कह दिया कि मकान में आग लगी है। क्योंकि हम मकान की भाषा ही समझ सकते थे; सूरज और फूल की भाषा हम समझ ही नहीं सकते थे क्योंकि सूरज और फूल हमने देखा हो नहीं था। अगर तुमने कहा भी होता कि बाहर सूरज है और फूल हैं, आनन्द की वर्षा हो रही है तो हम कहते कि हम कुछ समझे ही नहीं। कैसा बाहर ! कैसा सूरज ! कैसा फूल ! हम तो एक ही भाषा समझ सा । थे मकान की। और हम यही समझ सकते थे कि अगर मकान में आग लगी हो तो ही बाहर जाया जा सकता है। नहीं तो जाने की कोई जरूरत नहीं । अगर मकान सुरक्षित है तो बाहर जाने की क्या जरूरत है ? हो सकता है कि बाहर जाकर तुम देखोगे कि मकान में आग नहीं लगी है लेकिन फिर भी तुम मुझे धन्यवाद दोगे कि ठीक कहा कि मकान में आग लगी है, नहीं तो हम