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रघुदेव ने 'काव्यप्रकाशकारिकार्य प्रकाशिका' में केवल उन्हीं कारिकाओं की व्याख्या की है, जो उनके विचार से भरत विरचित हैं। देखो - राजेन्द्रलाल मित्र के नोटिस, भाग १०, क्रम संख्या ४२४२ ।' (सं० का० शा० का इति० पृ० ५२६ ) बीकानेर ग्रन्थसूची, मंसूर लायब्रेरी तथा रायल एशियाटिक सोसायटी, कलकत्ता की सूचियों में इसकी प्रतियाँ होने का उल्लेख है ।
[ ११ ] कारिकावली - कलाधर
यह टीका कारिकाओं के सारांश के रूप में निर्मित है। इसका संकेत KBod ५०१ से प्राप्त होता है ।
[१२] काव्यदर्पण - मधुमतिगणेश
प्रोफेक्ट, १०२ए पर इस टीका का उल्लेख है ।
[१३] काव्यदीपिका- साम्बशिव
इनके पिता का नाम सूर्यनारायण प्रध्वरीन्द्र तथा पितामह का नाम धर्मदीक्षित था। इसका उल्लेख 'राजस्थान रिपोर्ट' तथा 'सेन्ट्रल इण्डिया रिपोर्ट' में पृ० ४ पर हुम्रा है ।
[१४] काव्यनौका - ले० श्रज्ञात
लाहौर के स्व० पं. राधाकृष्ण जी द्वारा संकलित हस्तलिखित पुस्तक सूची पत्र पृ० ४१ में इसका निर्देश है । [१५] काव्यप्रकाशखण्डन अथवा काव्यामृततरङ्गिरणी - ले० श्रज्ञात
इस टीका का उल्लेख 'राजेन्द्रलाल मित्र द्वारा दी गई हस्तलिखित ग्रन्थ विषयक सूचना' के अन्तर्गत हुआ है । [१६] काव्यप्रकाश-विवेकिनी - रेहलदेव
रेहलदेव के पिता का नाम पद्मनाभ तथा पितामह का नाम नृसिंह था। राजस्थान रिपोर्ट तथा सेन्ट्रलइण्डिया रिपोर्ट पृ० 8 पर इसका सूचन है ।
[१७] काव्यप्रकाशसार - रामचन्द्र
मूल 'काव्यप्रकाश' के विषय की साररूप व्याख्या होने के कारण टीका का नाम 'काव्यप्रकाशसार' रखा गया होगा, जो कि उचित ही है । औफ्रेक्ट सूची भाग १, पृ. १०२ बी० में इसका उल्लेख है। इसकी पाण्डुलिपि इलाहाबाद में है ।
[१८] काव्यप्रकाशिका - पुरुषोत्तमदेव कवि
इसका सूचन कवि ने अपने 'शिवकाव्य' में दिया है।
[१९] कौमुदी
नरसिंह ठकुर ने इस टीका का सूचन किया है ।
[२०] टिप्परग
इसका सूचन 'कैटलागस कैटलागरम्' में है ।
इसका प्रारम्भ - 'वचनसन्दर्भरूपस्य ग्रन्थस्य प्रारिप्सितत्वेन स्तोतुमुचितायाः' इत्यादि अंश से हुआ है।