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७-विधि अनुष्ठान-कोश इस प्रकार विविध पद्धति के सात भागों में कोश तैयार कराने की योजना विचाधीन है। २-भारत की अनेक भाषा तथा विदेश की मुख्य भाषाओं में जैनधर्म के मुख्य-मुख्य विषयों से सम्बद्ध ५० से १०० पृष्ठों के बीच आकारवाली पृथक्-पृथक् पुस्तकें तैयार कराना आदि।
प्रेस कापियाँ न्यायाचार्य श्रीयशोविजयजी गणी विरचित निम्नलिखित कृतियों की प्रेस कापियां तैयार
करवाई हैं*१-आत्मख्याति .
(माध्यम नव्यन्याय-दार्शनिक कृति) •२-प्रमेयमाला -३-विषयतावाद * ४-वीतरागस्तोत्र (अष्टम प्रकाश)-बृहद् वृत्ति * ५- " ( , )-मध्यम वृत्ति
६- , ( , )-जघन्य वृत्ति * ७-वादमाला' (नव्यन्याय-दार्शनिक) .८-वादमाला ( .." )
६-चक्षुरप्राप्यकारितावाद (पद्यमय) *१०-न्यायसिद्धान्तमञ्जरी (शब्दखण्ड टीका) ११-तिङन्वयोक्ति (व्याकरण) *१२-काव्य प्रकाश (द्वितीय तथा तृतीय उल्लास) १३-सिद्धसहस्रनामकोश (पर्यायवाचक नाम) १४-आर्षभीयचरित्र (महाकाव्य) १५-विजयोल्लास काव्य १६-कूपदृष्टान्तविशदीकरण (धर्मशास्त्र) १७-यतिदिनचर्या (प्राचारशास्त्र) १८-२विजयप्रभसरिक्षामणकपत्र (पत्रकाव्य) .१६-स्तोत्रावली (हिन्दी अनुवादसहित) २०-एक सौ आठ बोध संग्रह
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१. * इस चिह्न वाली कृतियाँ संशोधनपूर्वक मुद्रित हो चुकी हैं । २. यह काव्य हिन्दी अनुवाद सहित 'स्तोत्रविली' ग्रन्थ में भी प्रकाशित है। ३. इस ग्रन्थ का गुजराती भाषान्तर के साथ प्रकाशन भी शीघ्र ही करने की सम्भावना है तथा हिन्दी अनुवाद, एवं
विस्तृत भूमिका-सहित प्रकाशित हो चुकी हैं।