Book Title: Kavya Prakash Dwitya Trutiya Ullas
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti

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Page 329
________________ तृतीय-परिशिष्ट न्यायविशारद, न्यायाचार्य, महोपाध्याय . श्रीमद् यशोविजयजी उपाध्याय द्वारा रचित ग्रन्थों की सूची संस्कृत तथा प्राकृत भाषा के उपलब्ध ग्रन्थ १प्रज्जप्पमयपरिक्खा ३ अध्यात्मोपनिषद् [अपरनाम-आध्यात्मिकमत(अध्यात्ममतपरीक्षा) . ४ अनेकान्त मत व्यवस्था खण्डन स्वोपज्ञटीका सहित स्वोपज्ञटीका सहित [अपरनाम-जैनतर्क] +६ प्रात्मख्याति* +२ अध्यात्मसार . . +५ अस्पृशद्गतिवाद +७ पाराधकविराधकचतुर्भगी १. सूची के सम्बन्ध में ज्ञातव्य . प्रस्तुत सूची पूर्व प्रकाशित सभी सूचियों के संशोधन, परिवर्तन तथा परिवर्धन के पश्चात् यथासम्भव परिपूर्ण रूप में सावधानी पूर्वक व्यवस्थित रूप से प्रकाशित की जा रही है। इसमें बहुत से ग्रन्थ नए भी जोड़े गए हैं। इसमें ग्रन्थों के अन्तर्गत पाए हुए छोटे-बड़े वादों को प्रस्तुत नहीं किया गया है। यहाँ प्रस्तुत ग्रन्थों के नामों में कुछ ग्रन्थों के नाम उनकी हस्तलिखित प्रतियों पर अंकित नामान्तर से भी देखने में आए हैं। अतः उपाध्यायजी महाराज के नाम पर अनुचित ढंग से अंकित कृतियों के नाम यहां नहीं दिए गए हैं। कुछ कृतियाँ ऐसी भी हैं जो इन्हीं की हैं अथवा नहीं? इस सम्बन्ध में अभी तक निर्णय नहीं हो पाया है, उनके नाम भी यहाँ सम्मिलित नहीं किए गए हैं। तथा अद्यावधि अज्ञातरूप में स्थित कुछ कृतियाँ अपने ही ज्ञान-भण्डारों के सूची-पत्रों में अन्य रचयिताओं के नाम पर चढ़ी हुई हैं। इसी प्रकार कुछ कृतियाँ ऐसी हैं जिनके आदि और अन्त में उपाध्याय जी के नाम का उल्लेख नहीं होने से वे अनामी के रूप में ही उल्लिखित हैं, उनके बारे में भविष्य में ज्ञात होना सम्भव है। संकेत चिह्न-बोध प्रस्तुत सूची में कुछ संकेत चिह्नों का प्रयोग किया गया है, जिनमें * ऐसा पुष्प चिह्न अनूदित कृतियों का सूचक है। . * X पुष्प एवं (कास) गुणन-चिह्न ऐसे दोनों प्रकार के चिह्न अनूदित होने के साथ ही अपूर्ण तथा खण्डित कृतियों के लिए प्रयुक्त हैं। ___+ ऐसा धन चिह्न स्वयं उपाध्याय जी महाराज के अपने ही हाथ से लिखे गए प्रथमादर्शरूप ग्रन्थों का परिचायक है। . (?) ऐसा प्रश्नवाचक चिह्न “यह कृति उपाध्याय जी द्वारा ही रचित है अथवा नहीं ?" इस प्रकार की शंका को अभिव्यक्त करता है।

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