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प्रासाद-लक्षणम् ]
१०९ भा०टी०-क्षेत्रफलनी राशिवडे गुणेल गृहना उदयने ८ भागे भांगवाथी जे शेष रहे ते घरनो अधिपति जाणवो, अधिपति नाम प्रमाणे फल देनारो होय छे.
१ वधे तो वितथ१, २ वधे तो कनक, ३ वधे तो धूम्रक, ४ वधे तो अवितथस्वर, ५ वधे तो बिडाल, ६ वधे तो विजय, ७ वधे तो दान्तमृग अने • वधे तो कान्तमृग नामनो अधिपति जाणवो.
विषम आय शुभ होय, आयथी हीन व्यय होय ते शुभ होय अने अधिपतिपणुं सम संख्यावालं होय ते पण मनुष्योने माटे सदा शुभदायक होय छे.
मतान्तरे अधिपतियद्वाऽऽयव्ययसंयोगे, यदैक्यं वसुभिर्भजेत् । शेषस्त्वधिपतिः केचिद्, विषमः स भयावहः ॥१८५॥
भा०टी०-अथवा आय तथा व्ययना आंकने जोडी आठे भागवाथी जे शेष रहे ते अधिपति, एम केटलाक आचार्यों कहे छे. अघिपति विषम होय तो ते भयकारक छे, अर्थात् पहेलो, त्रीजो, पांचमो अने सातमो ए ४ अधिपतिओ अशुभ छे, ज्यारे बीजो, चोथो, छटो अने आठमो ए ४ शुभ होय छे.
१ ग्रन्थान्तरमा विकृत नाम छे. २ ग्रन्थान्तरमा कणक नाम छे. ३ ग्रन्थान्तरे धूम्रद नाम छे. ४ अन्यान्तरमां दुन्दुभि नाम छे. ५ ग्रन्थान्तरमां दान्त तथा कान्त नाम छे.
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