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[ कल्याण-कलिका-प्रथमखण्जे भाण्टी-मिथुन सिंह कन्यामकरना सूर्यमां प्रातः समयमां, वृश्चिक कुंभ मीन मेषना सूर्यमां सांजे अने वृषभ कर्क तुल धनुना सूर्यमां अर्धरात्रिमा वार संक्रांति थाय छे. ___ आ बार भोग अने वारसंक्रमण संबन्धी कथनोनुं तात्पर्य ए जणाय छे के संक्रान्ति विशेषमां दिनवारनो प्रभाव अमुक समय सुधी ज रहेतो होय अने ते पछी आगेना वारनी असर शरु थइ जती हशे. ए वस्तुने ज मलतुं नीचे प्रमाणे एक बीजुं पण निरूपण उपलब्ध कराय छेराम-रस-नन्द-बाणा, वेदाष्टा-सप्त-दशहताः कार्याः। मन्दादीनां दिनतः, क्रमेण भोगस्य नाड्यः स्युः ॥ १२८ ॥ __ भाण्टी०-शनिथी शुक्र पर्यन्तना सात दिनवारोना भोगनी घडीओ अनुक्रमे ३०, ६०, ९०, ५०, ४०, ८०, ७० छे, आनो अर्थ पण एज छे के शनि दिने ३० घडी पछी शनिनो प्रभाव मटीने सूर्यनो प्रभाव शरु थइ जाय छे. सूर्यनी असर ६० घडीनी होइ शनि रात्रि अने रविना दिनना अन्तमा समाप्त थतां सोमवारनी असर चालु थाय छे, सोमनी असर ९० घडीनी छे एटले रविनी सांजथी चालु थइ सोमनी रात्रिना पर्यन्ते पूरी थाय छे, मंगलवारनो प्रभाव मंगलवारना प्रारंभथी चालु थइ मंगलनी पाछली १० घडी रात रहेता पूरो थाय छे अने ते पछी बुधनो प्रभाव चालु थाय छे. बुधनो भोग ४० घडीनो होइ बुधनी सांजे पूरो थइ जाय छे अने बुधनी रात गुरुना प्रभाव नीचे आवे छे. गुरुनो प्रभाव ८० घडी रहेतो होवाथी गुरुवारनी पाछली १० घडी रात रहे त्यां सुधी चाले छे, ते पछी शुक्रनी छाया पडे छे. शुक्रनो भोग ७० होवाथी शुक्रवारनी रात्रिना अन्त सुधी तेनो ज भोग रहे छे, आम वारोनो प्रभाव पहेलां पछी पण रहे छे, पण एनो अर्थ ए न मानी
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