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ज्योतिष लक्षणे-मुद्रालक्षण] ___ आधुनिक विधिओमां एक बीजी पौराणिक मुद्रानो पण उल्लेख छे जेर्नु नाम कच्छप मुद्रा छे. विधिकारो आनो पण जलयात्रामा उपयोग करे छे छतां अमोए आ मुद्रा छोडी दीधी छे, केम के एना मूल आधारग्रन्थ प्रमाणे आ मुद्रा जलानयनमां नहि पण देवताना ध्यान-कर्ममां प्रयुक्त करवानुं त्यां सूचव्युं छे. जेम के "कूर्ममुद्रेयमाख्याता, देवताध्यानकर्मणि ।" आ उपरथी जणाशे के कच्छपमुद्रानो जलयात्रामा उपयोग करवानी कशी आवश्यकता नथी.
कई मुद्रानो क्या उपयोग थाय छे ए विषयमा अमोए ते ते मुद्राना निरूपणने अंते सूचवेल छे छतां ए सूचनने ज पकडीने बेसबुं न जोइये, केइ मुद्राओ एवी पण छे के तेओ सूचवेल प्रसंग सिवायना प्रसंगोमां पण प्रयुक्त थाय छे, माटे ए विषय गुरुगमथी हृदयंगत करी विधिओमां ज्यां ज्यां जेनो प्रयोग करवानी सूचना होय त्यां त्यां ते मुद्रानो उपयोग करवो.
मुद्रावस्तु तांत्रिकोनी छेमुद्राओ आपणा सिद्धान्तनी वस्तु नथी पण एनो प्रादुर्भाव तांत्रिकोए कर्यों छे. विक्रमना पांचमा सैकाथी तांत्रिकोना प्राबल्य कालमा अने ते पछीना कालमा बनेला उपासना अने अनुष्ठान विषयक दरेक ग्रन्थमा आ मुद्राओर्नु थोडं घणुं वर्णन मले छे, निर्वाणकलिकामां आपणामां प्रचलित अने अप्रचलित अनेक मुद्राओनुं वर्णन छे, आ उपरथी समजाय छे के मुद्राओ तांत्रिक छतांये आपणा पूर्वाचार्योए ए वस्तु स्वीकारी छ एटले आपणे पण ए वस्तुने यथार्थ समजीने एनो विधि-आम्नाय पूर्वक ज प्रयोग करवो जोइये के जेथी अनुष्ठाननी सफलता थाय, मुद्राविषयक विधि विवेकनी बावतमा विष्णुसंहिताकारे नीचेना शब्दोमां निरूपण कयु छे.
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