Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

Previous | Next

Page 674
________________ ज्योतिष लक्षणे-वास्तु मुहूर्तो ] ५९३ ___भाल्टी-देवताओनी प्रतिष्ठा, घरनिर्माणि, नगरनिवेश, कोट कढाक्यो, तोरणी उभा करवां, इत्यादि कार्यों सिद्धि योगमा करावा. ए सिवायना पण शुभकार्योक्त योगो प्रतिष्ठामा लेह शकाय छे, अशुभ योगो पैकीना व्यतीपात वैधृति ए बे योगो संपूर्ण त्यजवा, परिघयोगनी प्रथमनी ३० घडीओ अने बाकीना दुष्टयोगोनी प्रथमनी १५ घडीओ त्यजवी. त्रिशूल अने एकार्गल योग बनतो होय तो ते पण अवश्य वजेवो. ___ नक्षत्रक्षणानी जेम ज शास्त्रमा योगक्षणो पण बताव्या छे, ते लेइने काम करवू, उदाहरणरूपे कोइ मुहूर्तमा 'विष्कंभ' योग छे ए सूर्योदयथी लाग्यो छे अने एनी आदिनी ३ घडी वर्जित छे, पण ते दिवसे ग्राह्य नवमांश २ घडी १५ पले ज चालु थइ जाय छे अने २ घडी ३० पले उतरी जाय छे. आवा संयोगामा ३ घडी त्यजवाने खातर नवमांश जतो करवो, के शुभ नवमांशने खातर वज्यं घडीमां काम करवू ? उत्तर ए छे के आदी परिस्थितिमां क्षणयोगनो आश्रय लेबो, २ घडी १३ पले विकभनो क्षण उतरी 'प्रीति 'नो क्षण लागी जाय छे, तेमां कार्य करवामां बांधो नथी. ए सिवाय रवियोग, कुमारयोग, राजयोग के अमृतसिद्धियोगो पैकीना बे वा एक शुभयोग मुहूर्तना दिवसे आवता होय तो ते मुहूर्त दिनशुद्धिना हिमाचे महत्ववालं गणाय छे. प्रतिष्टामा करण. करणोने अंगे आरंभसिद्धिकार कहे के-- दशाऽमूनि विविष्टीनि, दिष्टान्यखिलकर्मसु । रात्र्यहर्व्यत्ययाद् भद्रा-ऽप्यदुष्टैवेति तद्विदः ॥७६८॥ भा०टी०विष्टि विनानां बवादि १० करणो सर्व कार्योमा ग्राह्य कह्यां छे अने रात्रिभद्रा दिवसमां अने दिवसभद्रा रात्रिमा होय तो भद्रा पण दुष्ट नथी एम ज्योतिर्विदो कहे छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702