Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

Previous | Next

Page 678
________________ ज्योतिष लक्षणे-वास्तु मुहूतों । _५९७ तृतीय भवने रहेला सर्वग्रहो पुत्रपौत्र अने सुखने आपनारा होय छे. चोथा स्थानमा रहेला सौम्यग्रहो सुखदायक अने क्रूर ग्रहो तथा चन्द्र दुःखदेनारा थाय छे. पांचमे रहेला क्रूरग्रहो ग्लाभिदायक थाय छ ज्यारे सौम्यग्रहो पांचमे पुत्र सुख आपे छे, पांचमे रहेल पूर्ण चंद्र पुत्रदायक अने क्षीणचंद्र पुत्र नाशक थाय छे. __ छठा भवनमा रहेला शुभ ग्रहो शत्रुओनी वृद्धि करे छे अने पापग्रहो छटे रहीने शत्रुओनो नाश करनारा थाय छे, चन्द्र पूर्ण होय चाहे क्षी छटे रहेलो सर्व शत्रुभोनो नाश करे छे अने प्रतिष्ठाकारकने थोडाज समयमां आयुष्य पुत्र धनदायक बने छे. सातमा भवने रहेला पापग्रहो रोग करे छे अने सौम्यग्रहो सातमे शुभफलदायी होय छे. आठमे रहेला सर्वग्रहो कर्ताने मरण आपनारा थाय छे. नवमे रहेला पापग्रहो धर्मनी हानि करे छ अने सौम्यग्रहो तथा चन्द्र नवमे शुभफलदायक होय छे. दशमा स्थाने पापग्रहो भंग देनारा होय छे अने चन्द्र तथा सौम्यग्रहो कीर्तिदायक होय छे. लाभ स्थाने रहेला सर्वे ग्रहो घणो लाभ आपनारा थाय छे ज्यारे बारमा स्थाने पडेला ग्रहो हमेशां द्रव्यव्यय करावे छे. अधिकतर गुण अने अल्पतर दोषवाला लग्नमां देवप्रतिष्टा कर्ताने इष्टपदार्थनी सिद्धिदेनारी निवडे छे. आरंभसिद्धिना मते-प्रतिष्ठा लग्ननी ग्रहव्यवस्था"प्रतिष्ठायां श्रेष्ठो रविरुपचये शीतकिरणः, स्वधर्माढये तत्र क्षितिज-रविजौ त्र्यायरिपुगौ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702