Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

Previous | Next

Page 667
________________ [कल्याण कलिका-प्रथम खण्डे अन्य नक्षत्रो लेवां, सर्व कार्यामां सौम्य वागे लेवा, कारणे मंगलवार सिवायना बीजा वारो पण लेवा. तेवा वारोमा ते वारोनी होरा अवश्य टालवी, शास्त्र कहे छे केहोराफल-वारफले, हे अपि निन्य न जातु गृहणीत । एकस्मिन् शुभफलदे, तयोश्च कार्य शुभं कुर्यात् ।।७४८॥ भा०टी०-क्रूर वार अने कर वारनी होरा ए वंने कर न लेवा बेमाथी एक पण शुभ होय तो शुभ कार्य करवं. (६) द्वारारोपण मुहूर्तद्वारारोपण मुहूर्तमां पञ्चाङ्ग शुद्धि उपरांत केटलीक वातो जोवानी छे. मलमास गुर्वाधस्त अने व्यतीपातादि मोटा अपयोगो टालीने शुभ समयमां द्वा रोपण कर. मली शके त्यां सुधी लग्ननो समय लेवो पण तेम न - ही शके अगर लग्नशुद्धि न मलती होय तो कुलिक-अर्धप्रहरादि बार दोषो अने दुर्मुहूर्तो टालीने ज द्वार चढाव जोइये, वली द्वारारोपणमां वत्स तथा राहुनो वासो अवश्य जोवो, वत्स सामे तथा पाछल अने राहु संमुख आवतो होय ते मासमां द्वारारोप मुहूर्त न करवू, मास विषयक उक्त योगो जोवा उपरांत द्वार चक्र पण जोवु अने चक्रमा चन्द्र नक्षत्र शुभस्थाने आवतुं होय तो द्वार मुहूर्त आप. (७) स्तंभोच्छ्राय मुहूर्तघर या प्रासादनो प्रथम थांभलो अग्निकोणमा शुभमुहूर्ते उभो यो ए विषयमां ब्रह्मशंभु कहे छे.सूत्र भित्ति शिलान्यासं, स्तंभस्यारोपणं सदा । पूर्वदक्षिणयोर्मध्ये, कुर्यादित्याह कश्यपः ।।७५०॥ भाल्टो०-सूत्रपात, भितिचयन, शिलान्यास, अने स्तंभो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702