Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 668
________________ ५८७ ज्योतिष लक्षणे-वास्तु मुहूर्तो ] च्छ्राय, आ सर्व कार्यों हमेशां आग्नेयकोणथी शरु करवां आम कश्यप ऋषि कहे छे. शाङ्गधर पण कहे छेप्रासादेषु च हर्येषु, गेहेष्वन्येषु सर्वदा । आग्नेयां प्रथमस्तम्भं-स्थापयेद् विधिना ततः ॥७५१॥ भान्टी०-प्रासादो, हवेलियो अने बीजां घरोमां हमेशा प्रथमस्तंभ आग्नेयी दिशामा स्थापन करवो. __स्तंभारोपण सामान्य दिनशुद्धि, चन्द्रबल अने स्तंभचक्र जोइने करवू जोइये. (८) पट्टकारोपण मुहूर्तप्रासाद अथवा घरमां पाटडो अथवा मोभ स्थापवान मुहूर्त पञ्चांगशुद्धि जोहने आपq, कर्ताने चंद्रबल जोवू अने मोभचक्रमां दिननक्षत्र शुभ स्थाने आवतुं होय ते दिवसे आप, पट्टकारोपण शुभ चोघडियामा करी शकाय छे. (९-१०-११) पद्मशिला-शुकनास-पुरुष-निवेशन मुहूतों-- पद्मशिला शुकनास अने प्रासादपुरुष स्थापवानां मुहूतों सूत्रपातादिना मुहूर्तोमा जणावेल दोषो टाली पञ्चांगशुद्धिमां करवां, लग्न जो सारु मली शकतुं होय तो लग्नमां, अन्यथा शुभ चोघडियामां अथवा विजयमुहूर्तमा पण ए मुहूर्तो करी शकाय छे. ___ (१२) आमलसारक स्थापनमुहूर्तआमलसारो चढाववामां पञ्चांग शुद्धि उपरांत चंद्रबल जोवू अने घंटाचक्र जोइ जो दिननक्षत्र चक्रना शुभस्थानमा आवतुं होय तो शुम चोघडियामां आमलसारो ढांकी लेवो, झीणवटमा उतरवानी जरूर नथी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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