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ज्योतिष लक्षणे-वास्तु मुहूर्ता] आरंभ करवो शुभफलदायक छे. गृहनिर्माणमा आठमे क्रूर ग्रहनी स्थिति मृत्युकारक होय छे.
लग्नो-तुला, वृषभ, कुंभ, मिथुन, धनु, कन्या अ शुभ छे अथवा द्विस्वभाव अने स्थिर लग्न सौम्यग्रह सहित होय अथवा शुभ ग्रहोनी दृष्टिमां होय, बलिष्ठ सौम्यग्रहो दशम स्थानमा होय तेवा समयमा विद्वानो गृहनिर्माण करवायूँ कहे छे. वास्तुकार्यारम्भनी उत्तम लग्न कुंडली-वास्तुतत्त्वप्रदीपे
सये अशुष्मा सौम्य
सास्य
पा.प.
सर्व शम्भ
पाप सक्षम
सच म
गुशु
में
स्थान १।२।४।५।६।७।८।९।१०। मां जे जे ग्रहो जणाव्या छ, ए सिवायना ग्रहो ए स्थानोमां होय तो अशुभ फल आपे छे. ३१११ आ के स्थानोमां पडेला सौम्य के पाप सर्वे शुभदायक होय छे ज्यारे १२ मा स्थानमा रहेल सौम्य क्रूर कोइ पण ग्रह शुभ फल आपतो नथी.
गृहारंभलग्ने आयुर्दायक योगा:-- गुरु लग्ने जले शुक्रः, स्मरे ज्ञः सहजे कुजः । रिपो भानुयंदा वर्ष-शतायुः स्याद् गृहं तदा ॥७३६॥
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