Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 664
________________ ज्योतिष लक्षणे-वास्तु मुहूर्तों । ५८३ अनस्तगैः सितेज्येन्दु-जन्मराशि विलग्नपैः ।। स्वोच्चस्वक्षेत्रभागस्थैर्भवे-च्छी सौख्यदं गृहम् ।।७४३॥ गृहिणीन्दी गृहस्थोऽर्के, गुरौ सौख्यं सिते धनम् । विवले नाशमायाति, नीचगेऽस्तंगतेऽपि च ॥७४४॥ भाण्टी-जे गृहना आरंभकाले चन्द्र स्वगृही होय अथवा लग्नस्थित होय गुरु केन्द्रमा होय ते गृहमा तेनो स्वामी घणा काल पर्यन्त समृद्ध दशामां निवास करे छे, जे गृहनिर्माणमां ग्रहो स्वगृही, मित्रगृही, उच्चस्थानीय अने बनवांश स्थित होय ते घर तेना वंशजो घणा काल सुधी भोगक, एथी विपरीत जो ग्रहो शत्रुगृही होय अगर शत्रु नवमांशमा होय तो ते घर बीजाओ भोगवे, नीचना ग्रहो होय तो तेमां निर्धनोनो वास शाय. शुक्र गुरु चंद्र जन्मराशिपति अने लग्नेश ए बधा उदित ह " उच्चना होय, स्वगृही होय, अगर स्वनवांश स्थित होय, तेवा समयम् पारंभेल गृह लक्ष्मी तथा सुखथी संपन्न होय छे. गृहनिर्माण स. मा चन्द्र निर्बल होय तो निर्मापकनी स्त्रीनो, सूर्य निर्वल होय तो गृहपतिनो, गुरु निर्बल होय तो सुखनो अने शुक्र निर्बल होय तो धननो नाश थाय, उक्त ग्रहो नीचना अथवा अस्त होय तो पण एज प्रमाणे फल जाणवू. ___ गृहारंभमां उत्तम-मध्यम-अधमग्रहस्थितिकूरा ति-छगारसगा, सोमा किंदे तिकोणगे सुहया । कूरहम अइअसुहा, सेसा मज्झिम गिहारंभे ॥७४५।। भा०टी०-गृहारंभ लग्नमां क्रूर ग्रहो ३-६-११ ए स्थानोमां होय अने सौम्यग्रहो १-४-७-१०-५-९ओ केंद्र-त्रिकोण स्थानोमां होय तो शुभफल आपनारा छे, आठमा भवनमा क्रूर ग्रहो अति अशुभ छे, शेष स्थानोमां क्रूर-सौम्योनी स्थिति मध्यम प्रकारनी जाणवी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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