Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 594
________________ योग-लक्षणम् ] तिथि-नक्षत्रजन्य शुभयोग कोठकतिथयःनक्षत्राणि |योगनामानि नन्दा-१६।११ | कृाआ।उफा|चि।उषा । श्राश । उभा । वारयोग भद्रा-२।७।१२ | रो। पुन । पुष्य । मूल । श्रेष्ठयोग जया-३८।१३ | अश्वि। मृ । पु।उफा।होउषा|धाउभारे। शुभयोग रिक्ता-४।९।१४ | पु।।श्ले । स्वा । वि । ज्ये । कल्याणयोग पूर्णा-५।१०।१५ अश्वि। पु । ध । श। रे। वर्धमानयोग - - वार-नक्षत्र जन्य शुभयोग कोष्ठकवारा:नक्षत्राणि | योगनाम रविवारे मापुनापु।उफा|हाचि।उषा।मश्रिाउभारे। सौम्ययोग सोमवारे रोमापुनापुस्विा।ज्योश्राधाश । महायोग मंगलवारे अश्विाकामापु।उफाअनुउषा|उभारे। | पूर्णयोग बुधवारे | कारो।मापु।उफाहाचिास्त्रा।उषा।उभा! शंखयोग गुरुवारे पुनापुहाचिास्वा।अनु।श्राधाशारे। अमृतयोग | अश्विारोमाउफाहाअनु।उषा|उभारे।। पद्मयोग शुक्रवारे शनिवारेमापुरमाउफाज्ये।उषाश्रिाधाशाउमा। आनंदयोग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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