Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor
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[ স্ক্যাতিকা -খয়র देवालयना आरंभमा मासोनो अतिदेश-वास्तुमंडने
देवालयं तडागं च, वाटिकोद्धरणं गृहम् । गृहमासोदितं शस्तं, मावे पि मुनिसंमतम् ॥७२२॥
भा०टी०-देवमंदिर तलाव वावडी जीर्णगृह उद्धार से सर्व कार्यों गृहनिर्माणना महीनाओमां करवां शुभ छे. ओ कार्योभा माघ मास पण शुभ मानेलो छे.
गृहारंभना वारोगृहारंभना मुहूर्तमां रविवार अने मंगलवार वर्जित छे, शेष सव वारो लीधेला छे. छतां अटलं ध्यानमा राखवार्नु के जे ग्रहनो वार लेवो होय ते ग्रह नीचनो के अस्तगत न होवो जोइये कारण के बलहीनग्रहना वारे करायेल कार्य प्रायः सफल थतुं नथी.
गृारंभनी तिथिोगृहारंभमा प्रतिपदा, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी सिवायनी शुक्लपक्षनी वधी तिथिओ शुभ छे. कृष्ण पक्षमां पण रिक्ता अष्टमी अमावास्या विनानी सर्वतिथिओ गृहारंभमां लइ शकाय छे.
तिथि वारने अंगे भृगुनो मतरिक्ताष्टर्म दर्श रवीन्दु भौमा, विवर्जनीया विदुषा प्रयत्नतः। ___अर्थात्-बन्ने पक्षनी रिक्ता (४-९-१४) अष्टमी अमावास्या अ तिथिओ अने रवि सोम मंगल अ वारो विद्वाने यत्नपूर्वक गृहारंपमा वर्जवा.१
दिनशुद्धि विषे नारदमृदु-ध्रुव-क्षिप्रभेषु, रिक्तामारिवजिते । दिनेशुद्धेऽष्टमे लग्ने, शुभे शंकुं विनिक्षिपेत् ॥७२३॥ १-बीजा प्रयकारो सोमवार विहित गण्यो छे.
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