Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 654
________________ प्रासादादि - वास्तु मुहूर्तो (१) गृहारम्भ मुहूर्त - भूम्यारम्भे तथा कूर्मे - सूत्रपाते शिलासु च । क्षुरे द्वारोच्छ्रये स्तम्भे, पट्ट- पद्मशिलासु च ॥७१२॥ शुक्राग्रे पुरुषे चैव, घण्टायां कलशोच्छ्रये । ध्वजारोपे प्रतिष्ठायां, मुहूर्तानि निरूपयेत् ॥ ७१३॥ भा०टी० - प्रासादादि निर्माणार्थ भूमिखनन १, कूर्म अथवा कूर्मशिलान्यास २, सूत्रपातनुं सूत्रथी प्रासादनी भूमि मापी तल कायम करवानुं ३, शिलान्यास ४, पीठउपर खुरकनो थर मांडवानुं ५, द्वारारोपण ६, स्तंभ उभी करवानुं ७, पाटचढाववानुं ८, पद्मशिलाढकवानुं ९, शुकनास ढांकवानुं १०, प्रासाद पुरूष स्थापवानुं ११, आमलसारो चढाववानुं १२, कलशचढाववानुं १३, ध्वजारोप करवानुं १४ अने प्रतिष्ठानुं १५, आ प्रासाद वास्तु सर्वे मुहूतना कार्योंमां जोवानो होय छे. अर्थात् आ सर्व कामो शुभ समयमां करवां जोइये. प्रासाद तथा गृहारंभादिना मुहूर्तीमां शेषचक्र १ तथा भूम्यारंममां वृषवास्तुचक्र २, प्रासादचयनमां कूर्मचक्र ३, द्वारारोपणे द्वारचक्र ४, राहुनिवासचक्र ५, वत्सनिवासचक्र ६, स्तंभोच्छ्रयमां स्तंभचक्र ७, पट्टकारोपणे भोमचक्र ८, आमलसारारोपण घंटीचक्र ९, प्रवेशे कलशचक्र १०, आदिचक्रो जोवानां होय छे. तेथी आ चक्रो अमोओ दिनशुद्धिना निरुपण प्रसंगे आयां छे, जे त्यांथी जोइने मुहूर्त आपj. भूम्यारंभ मुहूर्त Jain Education International गृहवास्तु अथवा प्रासादवास्तुना आरंभ करवामां प्रथममास शुद्धि जोवी, वास्त्वारंभमां मासशुद्धि नीचे प्रमाणे छे For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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