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लम-लक्षणम् ]
माल्टी-फूर ग्रहोना मध्ये रहेल लग्न मृत्युकारक अने चन्द्र रोगकारक थाय छे, पण भार्गवो (भृगुना अनुयायियो) को छ के धनस्थाने सौम्य ग्रह होय अथवा बारमा स्थानमा गुरु रहेस होय तो कर्तरी नथी एम जाणवू, बादरायणे कडं के के जे कुंडलीमां गुरु त्रिकाण (५-९) केन्द्र (१-४-७-१०) नो होय, रवि श्रीजे अग्यारमे होय त्यारे कतरी दोषकारक होती नथी. चंद्रनी आगत पाछल १५-१५ अंशोना अथवा तेथी ओछा अंशोना आंतरे पापग्रहो होय अने ते संदंशनी वच्चे चंद्र अथवा लग्न आवतुं होय तो ते लग्न अगर चंद्रनो त्याग करयो, केम के बन्ने ग्रहोनी युति पता राशि अने अंशनी किरणयुति थाय छे जे लग्न अने चन्द्रने हामि थाय छे. तात्पयार्थ ए छे के भागल पाछलना बंने ग्रहो, अंतर लग्न के चंद्रथी १५-१५ अंशनुं वा तेथी ओछु होय, आगलना पापग्रह वक्री होइ सामेथी नजीक आ तो होय, पाछलनो ग्रह पण मार्गी होइ लग्न के चंद्रनी निकट आव। होय, तो ते कर्तरी अवश्य वर्जवी जाइये, पहेला पछीना ग्रहो वक्री मार्गी होवा छतां १५-१५ अंशथी अधिक दर स्थित होय, अथवा पहेला पछीना बंने ग्रहो मागी होय, अथवा तो पछीनो ग्रह वक्री होय तो ते स्थितिमा १५-१५ अंशथी ओछे आंतरे पापग्रहो होय तोये ते कर्तरी विशेष हानिकर हाती नथी.
__ सापवाद करयुतिसति दर्शने यदि स्या-दशद्वादशक मध्यगः क्रूर।। इन्दोलग्नस्य तथा, न शुभो राहुस्तु सप्तमगः॥६७६॥
माटो०-चंद्र तथा लग्नना वर्तमान विधांधी पार मिंशांशमा क्रूर ग्रह रहेब होय अने से चंद्र वा लग्नने पूर्ण रहिवी
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