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[ कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे बन्ने सन्ध्याओमां सदा वर्जवो, तेमां पण ज्यां लग्न बलवान् होय त्यां पंचकनो दोष नथी निष्फल थइ जाय छे.
योग योगो अनेकविध छ, सूर्य चन्द्र नक्षत्रोना योगथी बनता विष्कंभादि २७ योगो, वार नक्षत्रना योगथी बनता आनंदादि २८ योगो, ए उपरांत एकागल, दृष्टियोग, तिथि नक्षत्रोथी बनता शुभाशुभ योगो, वार नक्षत्रोथी बनता शुभाशुभ योगो, तिथिवार नक्षत्रोना संबन्धथी बनता योगो, आ सर्वयोगोनो संक्षेपमा परिचय अने ते योगोमां विधेय कार्योनो निर्देश कराववो ए आ प्रकरण लखवानो उद्देश छे.
विष्कंभादि योगा नयनोपाययस्मिन्नक्षे स्थितो भानु-र्यत्र तिष्ठति चन्द्रमाः। एकीकृत्य त्यजेदेकं, योगा विष्कंभकादयः ॥३८४॥
भाण्टी --जे नक्षत्र उपर सूर्य रहेल होय अने जे नक्षत्रमा चंद्रमा होय ते वंने नक्षत्रोनी अंक संख्या एकत्र करीने तेमांथी एक ओछो करवो शेष जे अंक रहे तेटलामो विष्कंभादि योग जाणयो अंक राशि जो २७ थी अधिक होय तो तेमाथी २७ बाद करी शेष अंकमांथी एक ओछो करवो ने शेषांकने योगनो अंक जाणवो
उदाहरणसूर्य अश्विनी उपर रहेल छे अने चंद्रमा पण ते उपर आव्यो छे तो ते दिवसे सूर्ये चंद्र नक्षत्रांक युतिनी संख्या २ थइ, एमाथी १ बाद करतां शेषांक १ रह्यो आथी जणायुं के ते दिवसे १ लो विष्कंभ योग छे. बीजुं उदाहरण-सूर्य अश्विनी उपर अने चंद्र रेवती उपर छे बंनेनो नक्षत्रांक २८ थयो, १ ओछो करतां शेष
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