________________
प्रतिमामानांक परिशिष्ट'समरांगण सूत्रधारोक्त-प्रतिमा मानाङ्क
१ श्रवणकर्णबन्ध-१॥ गोलक ॥ कर्णपिप्पली-दीर्घा द्विभागगोलकविस्तृता १ अं०॥ लकार-दीर्घ १॥, विस्तृत १ अं० पिप्पल्यार्धा (त्)तयोर्मध्ये ॥ लकार मध्ये निम्न०॥ अं०॥ पिप्पलीमूले श्रोत्र छिद्र०॥ अं०॥ स्तूतिका-दीर्घा०॥, विस्तार। अं०॥ पीयूषीदीर्घा २ अंक, वि० १॥ (लकारा वर्तयोर्मध्ये)॥ आवर्त-६ अं० ( वक्त्रो वृत्तायतश्वसः कर्णस्य बाह्यारेखा ) मूलांशविस्तार मूले०॥ अं०, मध्ये०। अं०, अंते ०)अं०॥
उद्घात-पीयुष्या अधोभागे विस्तार ०/- अं० (लकारा वर्तयोर्मध्ये )॥
ऊर्च कर्ण विस्तार-१ अं०, गोलक द्वियवान्वितः ॥ मध्ये कर्ण विस्तार-२ गोलक चतुर्यवान्वितः॥ मृले मात्रा १ यवा ६॥ पश्चिमनाल १ अं० वि०॥ पूर्वनाल०॥ अं०वि०॥ प०पू० नाले दीर्घ २ कला. ॥
२ चिबुकचिबुक आयाम २ अं०॥ अधर १ अं०॥ उत्तरोष्ट १ अं०॥ भाजी०॥ अं० उदय, ॥ नासापुटौ ओष्टचतुर्थभागौ ॥ नासा ४ अं०॥ पुटप्रान्ते नासाग्रविस्तार २ अं०॥ ललाट विस्तार ८ अंक, आयत ४ अं०॥
गंडान्त शिरसो यानं ३२ अं० ग्रीवा परिणाह २४ अं०॥ ग्रीवात उरः २ भा०॥ उरसोनाभिः २ भा०॥ नामे मण्द्रं २ भा०॥ ऊरु-जंघे समे ॥ जानु ४ अंगुल ॥ पादायाम १४ अं०॥ पद
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org