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तिथि-लक्षणम् ]
भा०टी०-तिथिना पन्दरमा भागनुं नाम क्षणातिथि छे. तिथिओ प्रतिपदाथी प्रारंभ थाय छे तेम तिथिक्षणो पण प्रतिपदाथी ज शरु थाय छे. प्रतिपदाए पहेलो क्षण प्रतिपदानो, बीजो बीजनो, यावत् पन्दरमो क्षण पूर्णिमानो, एज प्रमाणे बीज तिथिए पहेलो क्षण बीजनो, बीजो त्रीजनो, यावत् पन्दरमो प्रतिपदानो. आ प्रमाणे जे तिथि होय तेना क्षणथी शरुआत करवी अने ते पछीना पंच दशांशो पछीनी तिथिओना पूरा करीने शेषक्षण पाछा प्रतिपदादि तिथिओमां समाप्त करवा. आ रीते पूर्णिमाए पहेलो क्षण पूर्णिमानो अने बीजा क्षण प्रतिपदादि चतुदशी सुधीनी तिथिओना गणवा, तिथिभोग ६० घडीनो हशे तो एक तिथिक्षण ४ घडीनो थशे अने ६० घडीथी अधिक ओछा तिथि भोग हशे तो क्षणो पण अधिक ओछा प्रमाणवाला थशे, तिथि पूर्व दिवसथी चालु हशे अने औदयिक तिथि ते दिवसे अर्धी हशे तो क्षणो पण तिथिना प्रमाणमां अर्धा ज हशे, आवश्यक कार्य होय ते दिवसे के निकटमां ते कार्य करवा योग्य तिथि न होय त्यारे तिथिक्षण जोइने तेमां ते कार्य करी लेवू, एवं ज्योतिष शास्त्रनुं विधान छे.
तिथि विषयक अपवादःवारक्षचन्द्रोदयशद्धिलामे, तिथिः सदोषापि भवेददोषा। सौरभ्यकान्त्यादिगुणैः सरोज, सकण्टकत्वेऽपि यतो गुणाढ्यम् ॥ ११४ ॥ विशुद्धमृक्षं सबलं च लग्नं, यथा प्रयत्नेन विलोकयन्ति । तथा न योगं करणं तिथिं वा, दोषो गुणो वापि तिथेयतोऽल्पः ॥११५॥
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