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धारणागति-लक्षण ]
३३७ मेल सारो छे अम समजवु, परंतु जन्मनक्षत्र तो कृत्तिकादि छतां तेनुं नाम ते नक्षत्रना आ अक्षरोने अनुसारे नथी पण 'टाहा, कान्हा, चाचा' आदि प्रसिद्ध छे, तेवाने त्रण कोष्टक लिखित नामो पैकी कोईनी साथे लहे', कोइनी साथे वर्ग, तो कोईनी साथे बने वातो पण मलती नथी, तेथी फरिथी ऋषभादि २४ जिननामोनी साथे जोतां घणोज विलंब थाय ओ कारणे चोथा कोष्टकमां ते जिननामो लखेलां छे, के जेमनी साथे मथारे लखेल अक्षरोना नक्षत्रवाला माणस के गामनी साथे योनि, गण, राशि, अने नाडिनो मेल छे, जो तेना प्रसिद्ध नामाक्षर वर्गथी चोथा कोष्टकमां लखेल जिन नामो पैकीना कोइ नाम के नामोनी साथे लहेणुं मलतुं होय अने वर्ग वैर न होय तो आ कोष्टकस्थित नाम अथवा नामो अनुकूल छे अम कही शकाय अटला माटे आ कोष्टकमां चतुर्वर्ग शुद्ध, अथवा शुद्ध प्रायः जिननामो लखेलों छे.
वर्ग विरोध दोषना कारणे 'ऽव-बव' (ऽव अटले वर्गमेल नथी बव एटले धनिकनो वर्ग बलवान छे) इत्यादि संकेत करीने तृतीय प्रमुख कोष्टकोमा लखेलां जिननामोनी साथे धनिकना प्रसिद्ध नामथी वर्ग मैत्री होय तो ते नामो प्रथमादि भागे जाणवां. नाडिवेध तो सर्वत्र अवश्य टालबो ज जोईये.
संज्ञा विवरणजेम क का, कि की, कु कू, के कै, को कौ, आम 'क' व्यंजननी जोडे इस्व-दीर्घ स्वरो लगाडी १० अक्षरो करवामां आव्या छे ते ज प्रमाणे 'ख' ने पण इस्व-दीर्घस्वरो लगाडीने 'ख खा खि खी खु खू खे खै खो खौ आ प्रमाखे १० अक्षरो बनाववा, हस्वाक्षरो जे कोठामा होय तेना सवर्ण दीर्घ पण ते ज कोठामां समजवा, जेम 'ग-गि ना
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