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[ कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे चतुर्दशी पर्यन्तनी ४ तिथिओ अनुक्रमे धनु, मकर, कुंभ, मीन आ चार राशिओना प्रभाव नीचे होय छे. त्यारे पूर्णिमा आ चारे राशिओना प्रभाव नीचे रहे छे. जे तिथि जे राशिना प्रभाव नीचे होय ते राशि जो कोइ क्रूर ग्रहथी आक्रांत होय तो ते पोताना प्रभावनी तिथिने निर्बल बनावी दे छे, माटे तेवी तिथिने पण बने त्यां सुधी शुभ कार्यमां वर्जवी, अने एकथी अधिक क्रूर ग्रहाक्रांत राशिना अमल नीचेनी तिथि तो वर्जवीज जोइये, अन्यथा ते तिथिमां करेलु कार्य यशस्वी नहि नीवडे, राशिस्वामिक तिथिओ सम्बन्धी जे उपर विवेचन कयु छे, तेनो मूलाधार नीचे प्रमाणे ले
त्रिशश्चतुर्णामपि मेष सिंहधन्वादिकानां क्रमशश्चतस्रः। पूर्णाश्चतुष्कत्रितयस्य तिस्र
स्त्याज्या तिथिः क्रूरयुतस्य राशेः ॥ १०८॥ भाटी०-मेष-सिंह-धनु आ जेओनी आदिमां छे, एवा त्रण राशि चतुष्कोना स्वामित्व नीचे अनुक्रमे प्रतिपदादि, पष्ठयादि, एकादश्यादि, आ त्रण तिथि चतुष्को छे, अने पंचमी दशमी पूर्णिमा आ त्रण पूर्णाओ अनुक्रमे प्रथम द्वितीय तृतोय राशि चतुष्क नीचे छे, जे राशि क्रूर ग्रहयुक्त होय ते राशि अथवा राशि चतुष्कना स्वामित्ववाली तिथि मुहूर्तमा वर्जवी जोइये.
विष घटिका:तिथिओनी विष घटीओ, तेम वार अने नक्षत्रनी विष घटिकाओ मीचे लखेल कामोमां वर्जवानुं विधान कयु छे
विवाहव्रतचूडासु-गृहारंभप्रवेशयोः। यात्रादिशुभकार्येषु, विघ्नदा विषनाडिकाः । १०९॥
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