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तिथि-लक्षणम् ]
४०१ "सूर्यदग्धा" होय छे. तेने शुभ कार्यमा वर्जवी, आ नियमनुं फलितार्थ नीचेना श्लोकमां बतावेल छे:
दग्धार्केण धनुर्मीने, वृषकुंभेजकार्कणि । द्वन्दकन्ये मृगेन्द्रालौ, तुलैणे द्वयादियुतिथिः ॥१०७॥
भा०टी०-धनु मीनमा २ वृष कुंभमां ४ मेष कर्कमा ६ मिथुन कन्यामा ८ सिंह वृश्चिकमा १० अने तुला मकरमा १२, आ द्वितीयादि समतिथिओ सूर्यथी दग्ध होय छे. ___अर्वाचीन ज्योतिषी ग्रन्थोमां चन्द्रदग्धा तिथिओ पण बतावेली छ, अने शुभ कार्यमा तजवानुं कथन छे, पण आ चन्द्रदग्धा तिथिओना सिद्धान्तने अमे महत्व आपी शकता नथी, सूर्य दाहक होइ तिथिर्नु दग्धपणुं समजी शकाय रोम छे, पण चन्द्र जे दग्धने नवपल्लव करनार छे, तेथी तिथि केवी रीते दग्ध थइ शके एनो उत्तर तो चन्द्रदग्धाना सिद्धान्तनो आ वेष्कार करनारे ज आपवो रह्यो. अमे आ सिद्धान्तने प्रमाणिक मानता नथी.
क्रूर ग्रहाक्रान्त राशि स्वामिक तिथिओ:तिथिओ पन्दर छे, अने तिथिओनी संज्ञा पांच छे-नन्दा, भद्रा २ जया ३ रिक्ता ४ पूर्णा ५, प्रतिपदाथी पंचमी सुधीनी ५ तिथिओ अनुक्रमे नन्दादि संज्ञक छे. एज प्रमाणे षष्ठीथी दशमी अने एकादशीथी पूर्णिमा सुधीनी ५-५ तिथिओ पण नन्दादि संज्ञक छे. आ पन्दर तिथिओ मेषादि बार राशिओना प्रभाव नीचे रहे छे. प्रतिपदाथी चतुर्थी सुधीनी अनुक्रमे मेष, वृषभ, मिथुन, कर्कना प्रभाव नीचे अने पंचमी आ चारेना प्रभाव नीचे होय छे. षष्ठीथी नवमी पर्यन्तनी अनुक्रमे सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिकना प्रभाव नीचे अने दशमी आ चारेना प्रभाव नीचे होय छे. एज प्रमाणे एकादशीथी
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