________________
तिथि-लक्षणम्]
(१) तिथि तिथिओ १५ छे, प्रतिपदादि पूर्णिमान्त, कृष्णपक्षनी अन्तिम तिथि अमावास्याना नामथी प्रसिद्ध छे, आ सर्व तिथिओना स्वा. मिओ छे, अने ते सकारण छे. पंदर तिथिओने ३ भागमां वहेंची ने नन्दा, भद्रा, जया, रिक्ता, पूर्णा आ नामोथी ओळखावी कई तिथिमां कयां कामो करवां ए बधी वातोनो पूर्वग्रन्थकारोए निर्णय आपेलो छे, जिज्ञासुओनी जिशासा पूर्त्यर्थ अत्रे थोडंक वर्णन कर, योग्य धारीये छीये.
वहिर्विधाताद्रि सुता गणेशः, सर्पः कुमारो दिनपो महेशः। दुर्गा यमो विश्वहरी च कामः,
शिवो निशीशश्च पुराणदृष्टः ॥ ८५ ॥ भाण्टी-अग्नि, ब्रह्मा, गौरी, गणेश, सर्प, कार्तिकेय, मर्य, महेश्वर, दुर्गा, यमराज, विश्वदेव, विष्णु, कामदेव, शिव, अने चन्द्रमा ए प्रतिपदादि तिथिओना पौराणिक स्वामिओ छे. संहिताओमां तिथिस्वामीओ अनुक्रमे नीचे प्रमाणे बतावेल छे-धाता १ विधाता २ विष्णु ३ यम ४ चन्द्र ५ कार्तिकेय ६ इन्द्र ७ वसु ८ नाग ९ धर्म १० शिव ११ सूर्य १२ काम १३ कलि १४ विश्वदेव १५ आ प्रतिषदादि पूर्णिमा पर्यन्त १५ तिथिओना स्वामित्रो छे. शुक्लपक्ष-कृष्णपक्षनो भेद नथी, मात्र अमावास्याना स्वामी पितरो छे.
नन्दा च भद्रा च जया च रिक्ता, पूर्णेति सर्वास्तिथयः क्रमात्स्युः।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org