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[ कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे नवमदिनं प्रवेशाद् यत्, प्रयाणनवमी च नवमदिनम् । सततं नवमी त्रितयं, यात्रायां प्राणहानिदं यातुः ॥१०॥
भाण्टी०- नवमी त्रण प्रकारनी जाणवी, रिक्तानवमी प्रयाणनवमी अने प्रवेशनवमी, नवमी तिथिए रिक्तानवमी, प्रयाणनोनवमो दिवस ते प्रवेशनवमी, प्रवेशथी जे नवमो दिवस ते प्रयाण नवमी. आ त्रण नवमीओ यात्रामा अवश्य वर्जवी, कारण के यात्रा करनारने प्राण हानि करनारी थाय छे.
भिन्न भिन्न कार्योना मुहूर्ताने अंगे भिन्न भिन्न तिथिओ विहित अने निषिद्ध होय छे. बंने पक्षनी २-३-५-७-१०-१११३ अने शुक्ल १५ अने कृष्णा १ आ तिथिओ प्रत्येक शुभ कार्यमां विहित छे, ज्यारे बने पक्षनी ४-६-८-९-१२-१४ आ तिथिओने पक्षरंध्रा गणी शुभ कार्योमा वर्जित करेली छे. ___ ग्रहण करवा योग्य वर्जित तिथि आ अशुभ घटिकाओ व्यतीत थया पछीना तिथिभुक्तिकालमा मुहूर्त अपाय तो तेमां पण तिथि शुद्धि ज गणाय छे. आ निषिद्ध तिथिओ पैकीनी कइ तिथिनी केटली आदीनी घडीओ गया पछी ते शुद्ध गणाय ते नीचे प्रमाणे पधथी जाणी शकाशे.
कलि १४ वसु ८ गणपति ४ षण्मुख ६ हरि १२ दुर्गा ९ तिथिषु पक्ष रन्ध्रासु । शर-५मनु १४ वसु ८ गो ९ दशभि १०
स्तत्व २५ विहीनान्त्यनाडिकाः'शुभदाः ॥ १०४ ॥ भाण्टी०-चतुर्दशी, अष्टमी, चतुर्थी, षष्ठी, द्वादशी, नवमी आ पक्षरन्ध्रातिथिओमां अनुक्रमे ५-१४-८-९-१०-२५ आदिनी घडीओ पछीनी घडीओ शुभदायक होय छे.
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