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[कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे पछीज मौहूर्तिके मुहर्तनी खास वातो उपर पोतार्नु ध्यान केन्द्रित करवू जोईये।
वर्षशुद्धि-जे वर्षमा मासनो क्षय अने वृद्धि बंने आवता होय ते वर्ष शुभ कार्योने माटे वर्जित गणाय छे. गुरु जे वर्षमां सिंह राशि पर भ्रमण करतो होय ते वर्ष पण शुभ कामने माटे वर्जित ज गणाय छे. मात्र अपवाद रूपे ते वर्षनो अमुक समय शुभ गणाय छे.
अयनशुद्धि-अयनो पैकी दक्षिणायन देवप्रतिष्ठादि अने गृहारंभादिमां सामान्य रीते वर्जित छे. अपवादे कर्क संक्रांतिनो समय गृहारंभ अने गृह प्रवेशमा ग्रहण करेल छे. ए ज प्रकारे वृश्चिकनो सूर्य थया पछी पण दक्षिणायननो दोष गणातो नथी, ते समय गृहारंभगृह-प्रवेशमा लेवाय छे.
मासशुद्धि-चैत्र मास सामान्य रीते गृहारंभादिमां वर्जित छ, छता मेषनो सूर्य थया पछी चैत्रनो भाग जो रहेतो होय तो ते शुभ छ, वैशाख गृहारंभप्रवेशादिमां शुभ छे, ज्येष्ठ गृहारंभमां वर्जित छ, प्रवेशादिकमा लीधेल छे. मिथुनार्क थया पछी आषाढ गृहारंभमां वजित छे. श्रावण गृहारंभप्रवेशादिमां शुभ छे. भाद्रपद, आसोज, कार्तिक आरंट प्रवेशादिमां वर्जित छे. मार्गशीर्ष अने पौष गृहारंभादिमां श्रेष्ट. पण धनार्कमां पौषनो भाग पडतो होय तो तेटलो वर्जित गणरो. माघ गृहारंभमां बर्जित छे अने प्रवेशमां लीधेलो छे. फाल्गुन आरंभ प्रवेशादि बधा कार्योमां शुभ छे. आरंभसिद्धिग्रंथकार ए विषयमां कहे छे के सौर मासना हिसाबे धनार्क, मीनार्क, मिथुनार्क, अने कन्यार्क; आ च्यार द्विस्वभाव राशिनी संक्रांतिओनो समय गृहारंभ अने प्रवेश बन्नेने माटे वर्जित गणाय छे, शेष राशिओनो सूर्य होय त्यारे दिशा परक विधान अने निषेध बने करेल छे. उपरना निरूपणनो मूलाधार नीचे प्रमाणे -
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