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परि०१५. धारणागतिलक्षण पूजकस्य जिनेन्द्रस्य, लभ्य-देयं परस्परम् । राशियोनिगणादीना-मानुकूल्यं विलोकयेत् ॥१६॥
भाण्टी-पूजक अने जिनभगवानने परस्पर लभ्य देव राशि, योनि, गण, वर्ग, अने नाडीनुं अनुकूलपणुं जोवु जोइये.
धारणागति यंत्रक एटले जिनदेव अने जिनदेवनी प्रतिमा भरावनार गृहस्थने नामजोडो जोवानी रीति.
अमुक गृहस्थ अथवा गामनी साथे कया भगवाननी योनि १, गण २, राशि ३, वर्ग ४, नाडी ५, लेणी ६, आ छ वातो अनुकुल छे, ए नक्की करीने ते नामनी प्रतिमा भराववी अथवा प्रतिष्ठित करवी जोइये, जे नामने जे जिननी साथेयोनिवैर, गणवैर, राशिवैर, वर्गवैर, नाडीवेध होय अने प्रतिमा भरावनार धनिक के गाम जे जिनदेवन देवादार होय तेनी प्रतिमा न भरावधी, केमके ते अभ्युदय जनक थती नथी.
ए विषयमा पूर्वाचार्योए कह्यं छे के - "योनि-गण-राशि भेदा, लभ्य वर्गश्चनाडिवेधश्च । नूतनबिंबविधाने, षडविधमेतद्विलोक्यं ज्ञैः ॥१॥
भाल्टी--विद्वानोए नवीन बिंत्र भरावामां योनि, गण, राशि, लहेj, वर्ग अने नाडिवेध;-आ छ वातो अवश्य जोवी जोइये.
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