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ध्वजदण्ड-लक्षणम् ]
२५१ शैशपः खादिरश्चैव, पिण्डं चैव तु कारयेत् ॥७॥ _ भा०टी०-दण्ड वांशनो करवो अथवा तो अंजननो, महुडानो, शीशमनो तथा खेरनो बनावका अन तन गोलरूप फरक
___ध्वजादण्डनी जाडाईध्वजादण्डनी जाडाईनो पण नियम होय छे. ए विषयमां लगभग बधा ग्रन्थकारो एकमत छे के एक हाथना दण्डनी जाडाई पोणा आंगलनी करवी अने ते पछी प्रत्येक हाथे अडवा आंगलनी वृद्धि करवी. कोई पण मानना दण्डने माटे एज नियम लागु पडे छे. ए नियमनुं प्रतिपादन नीचेना श्लोकमां कयु छ.
एकहस्ते तु प्रासादे, दण्डः पादोनमङ्गुलम् । अझैगुला भवेद्वृद्धि-र्यावत् पंचाशहस्तकम् ॥८॥
भाण्टीः -१ हाथना प्रासाद उपरना दण्डनी जाडाई पोणा आंगलनी अने पछीना माप माटे प्रतिहस्त अडधा आंगलनी वृद्धि करवी. २ हाथथी ५० हाथना प्रासादे एज प्रमाणे दण्ड जाडो करवो.
ए विषयमा एक मत एवो पण छे के दण्डना छट्ठा भाग जेटली लांची पाटली करवी अने पाटलीनी लंबाईथी छट्ठा भागे तेनी जाडाई करवी. पाटलीनी जाडाई अने दण्डनी जाडाई सरखी करवी. आ मान्यता रत्नकोषकारनी छे अने आ मान्यता प्रमाणे दण्डनी जाडाई राखवामां आवे तो ४-६ हाथना प्रासादोने अंगे योग्य गणी शकाय तेवी छे.
दण्डनी पाटलीदंड उपरनी पाटलीनी लंबाई दंडनी लंबाईना छट्ठा भाग जेटली राखवानो नियम छे अने पाटलीनी जाडाई तेनी लंबाइना छट्ठा भाग जेटली होवी जोइए एवु विधान छे. पाटली पोतानी लंबाईथी
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