Book Title: Jain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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जैन गृहस्थ के प्रकार एवं उसकी धर्माराधना विधि ...39 हुआ है। मूलत: जैन-धर्म प्रकृतिवादी है और उसने प्रकृति को सुरक्षित रखने के लिए आत्म-तुला सिद्धान्त को प्रस्थापित कर अहिंसा को नया आयाम दिया है। अणु-परमाणु बम की होड़ में आज सारा विश्व तृतीय विश्वयुद्ध के कगार पर पहुँच गया है। उसका अधिकांश धन सुरक्षा पर खर्च हो रहा है। ऐसी स्थिति में भगवान महावीर का यह वाक्य स्मरणीय है- 'णत्थि असत्थं परेण परं' अर्थात अशस्त्र (अहिंसा) के समान कोई शस्त्र नहीं है।
यह गौरव का विषय है कि जैन तीर्थंकरों एवं उनके अनुयायी आचार्यों ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने एवं जीवन को सुखी बनाने के लिए जीवन को धर्म
और अध्यात्म से जोड़ दिया है। अहिंसा और अपरिग्रह के माध्यम से सर्वसाधारण जनता को पर्यावरण सुरक्षित रखने का जो पाठ दिया है, वह सचमुच बेमिसाल है। धर्म को दया और संयम आदि जैसे मानवीय गुणों के साथ जोड़कर अन्तश्चेतना को झंकृत करने का सुपथ दिया है। इतना ही नहीं, प्रकृति को राष्ट्रीय सम्पत्ति मानकर उसे सुरक्षित रखने का विशेष आहवान जैनाचार्यों की देन है। उन्होंने आध्यात्मिक और साहित्यिक ग्रन्थ लिखकर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि जीवन में जब तक अहिंसा और अपरिग्रह का पालन नहीं होगा, व्यक्ति और समाज सुखी नहीं रह सकता। इस दृष्टि से श्रावकाचार की जीवनपद्धति एक नई दिशा प्रदान करती है और यह सिद्ध करती है कि श्रावकाचार
और पर्यावरण एक-दूसरे के साथ गहरे जुड़े हुए हैं तथा पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने में श्रावकाचार का विशिष्ट स्थान है। सम्यक्त्वादि व्रतों का स्वरूप, महत्त्व एवं उसके उद्देश्य __व्रत शब्द 'वृञ् वरणे' धातु से सिद्ध है। इसका अर्थ है- स्वेच्छा से नियमों को स्वीकार करना। व्रत एक प्रकार की प्रतिज्ञा है, मन को नियन्त्रित करने का अचूक उपाय है, कुसंस्कारों के विलीनीकरण का एक मार्ग है, सत्संस्कारों के बीजारोपण का केन्द्र स्थल है और समस्त प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों को अवरूद्ध करने का अमोघ शस्त्र है। व्रत मानव जीवन के लिए तटबन्ध के समान है, जो स्वच्छन्द चलते हुए जीवन प्रवाह को मर्यादित रखता है। व्रत-विहीन व्यक्ति तटहीन नदी की भाँति उच्छृखल और स्वच्छन्द होता है, वह कभी भी प्रलय की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
जो लोग व्रत-नियम आदि से घबराते हैं, उनके लिए यह ध्यान देने योग्य