Book Title: Jain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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204... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक .... केवल 5 है। 1. अस्त्रशस्त्रों का व्यापार 2. प्राणियों का व्यापार 3. मांस का व्यापार 4. मद्य का व्यापार 5. विष का व्यापार।144
इस प्रकार हम पाते हैं कि जैन एवं बौद्ध-परम्परा में वर्णित गृहस्थ आचार में बहुत कुछ साम्य है, फिर भी दोनों में मूलभूत अन्तर यह है कि बौद्ध विचारणा में भिक्षु एवं गृहस्थ उपासक के लिए आचरणीय पंचशील में कोई अन्तर नहीं है। गृहस्थ जीवन की सीमाओं का ध्यान रखकर उनमें किसी तरह का संशोधन नहीं किया गया है, जबकि जैन विचारणा में भिक्षु के पंचशील एवं गृहस्थ के पंचशील में नाम साम्य होने पर भी प्रतिज्ञा के विकल्पों में अन्तर है। इसी कारण भिक्षु के पंचशील महाव्रत और गृहस्थ के पंचशील अणुव्रत कहे गए हैं। भिक्षु के लिए पंचशील(महाव्रत) की प्रतिज्ञा नवकोटि पूर्वक की जाती है जबकि गृहस्थ उपासक के लिए यह प्रतिज्ञा छ: कोटि पूर्वक की जाती है।
यदि समय निर्धारण की दृष्टि से विचार करें, तो जैन-परम्परा में पाँच अणुव्रतों और तीन गुणव्रतों की प्रतिज्ञा जीवनपर्यन्त के लिए होती है, बौद्ध धर्म में भी पंचशील यावज्जीवन के लिए ग्रहण किए जाते हैं। शेष तीन शील (उपोषथशील) शिक्षाव्रतों के समान एक निश्चित समयावधि (एक दिन) के लिए ही ग्रहण किए जाते हैं। उपसंहार
जैन विचारणा में श्रावकत्व की दीक्षा स्वीकार करने हेतु बारहव्रत ग्रहण करना अत्यावश्यक माना गया है। इसे गृहस्थधर्म की दीक्षा भी कह सकते हैं। इस संस्कार के माध्यम से गृहस्थ भोगों से काफी-कुछ ऊपर उठ जाता है।
सामान्यतया यह उपक्रम गृहस्थ के आध्यात्मिक विकास-क्रम का द्वितीय सोपान है। इसके पूर्व सम्यक्त्वव्रत ग्रहण किया जाता है। उसे विकासक्रम का प्रथम सोपान कह सकते हैं। तदनन्तर गृहस्थ-जीवन की उच्चतम भूमिका पर आरूढ़ होने के लिए क्रमश: ग्यारह प्रतिमाओं को धारण करना होता है, यह तृतीय सोपान है। इस प्रकार जैन-गृहस्थ के सम्यक् आचरण-विकास की ये तीन श्रेणियाँ प्रमुख रूप से निर्दिष्ट हैं। इनके आधार पर गृहस्थव्रती मुनि जीवन की ओर क्रमश: विकास करता है।
जब हम बारहव्रत स्वीकार करने की उपादेयता पर विचार करते हैं, तो पाते हैं कि इसके माध्यम से व्यक्ति के हृदय में वैराग्य का अंकुर प्रस्फुटित होकर