Book Title: Jain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 527
________________ प्रयुक्त ग्रन्थ सूची ...461 वर्ष 2004 वि.सं. 2033 2033 1945 1977 1982 क्र. ग्रन्थ का नाम लेखक/संपादक । प्रकाशक 54. जिनवल्ल्भसूरि महो. विनयसागर प्राकृत भारती | ग्रन्थावली अकादमी, जयपुर 55. जीतकल्पसूत्र |संपा. मुनिपुण्यविजय | बबलचन्द्र-केशवलाल (स्वोपज्ञभाष्य) | मोदी हाजापटेल नीपोल, अहमदाबाद 56. जीवविचारप्रकरण वादिवेताल श्री जैनश्रेयस्करमंडल, (सार्थ) शांतिसूरि महेसाणा 57. जैनसिद्धांतबोलसंग्रह |सं. भैरोदानजी जैनपारमार्थिक संस्था, । (भा.1-8) सेठिया बीकानेर 58. जैनेन्द्रसिद्धांतकोश क्षु. जिनेन्द्रवर्णी भारतीय ज्ञानपीठ, नई (भाग.1-2) दिल्ली |59. जैन आचार सिद्धांत देवेन्द्रमुनि शास्त्री | तारकगुरू जैन | और स्वरूप ग्रन्थालय, उदयपुर 60. जैन आगम साहित्य देवेन्द्रमुनि शास्त्री | तारकगुरू जैन मनन और मीमांसा ग्रन्थालय, उदयपुर 61. जैन, बौद्ध और गीता |डॉ. सागरमल जैन पार्श्वनाथ विद्यापीठ, के आचार दर्शनों का वाराणसी तुलनात्मक अध्ययन (भा. 1-2) 62. जैन दर्शन में विनोद कुमार जैन डॉ. हरिसिंह गौर सम्यग्दर्शन का विश्वविद्यालय, सागर समालोचनात्मक (म.प्र) अध्ययन (शोध प्रबन्ध)। 63. तत्त्वार्थसूत्र पं. सुखलालजी | पं. दलसुखभाई संघवी मालवणिया, हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी 19 1999 1997 1952

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