Book Title: Jain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 526
________________ 460... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक .... वर्ष क्र. ग्रन्थ का नाम लेखक/संपादक प्रकाशक |40. उपधान का सुंदर आनन्दसागरसूरि आगमोद्धारक प्रतिष्ठान, स्वरूप छाणी विपीनचन्द्र एस शाह,बड़ौदा 41. उपधानविधि तथा सं. कंचनविजयजी धीरजलाल प्रभुदास 1949 पोसह विधि वेलाणी, भावनगर |42. उपाधानतपक्रियादि सं. प्रभाकरसागर आनंद ज्ञान मंदिर, 1977 संग्रह सैलाना | 43. उपधानविधान ले. विजयदक्षसूरिजी | श्रीजैन संघ, ऊँझा वि.सं. 2058 44. ऋग्वेद |पं. श्रीरामशर्मा आचार्य संस्कृति संस्थान, बरेली 1969 45. अंगसुत्ताणि आ. महाप्रज्ञ जैन विश्व भारती, लाडनूं |1986 46. अंगुत्तरनिकाय(भा.1) भदंतआनंद | महाबोधिसभा, कलकत्ता 1987 कौसल्यायन | 47. कसायपाहुडसुत्त | पं. हीरालालजैन वीरशासनसंघ, कोलकाता |1955 । (चूर्णियुक्त) |48. कार्तिकेयानुप्रेक्षा स्वामीकार्तिकेय दिगम्बर जैन स्वाध्याय वि.सं. | मंदिर, सोनगढ़ 49. गणिविद्याप्रकीर्णक डॉ. सुभाषकोठारी आगम अहिंसा समता 1994 एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर |50. गोम्मटसार(जीवकाण्ड) अनु. डॉ. आदिनाथ | भारतीय ज्ञानपीठ 1999 नेमिनाथ उपाध्ये |दिल्ली |51. गोम्मटसार(कर्मकाण्ड) डॉ. आदिनाथ | भारतीय ज्ञानपीठ, नई 1999 नेमिनाथ उपाध्ये |दिल्ली 52. चरणानुयोग (भा.1-2) |संपा.मुनि कन्हैलयालाल आगम अनुयोग ट्रस्ट, 1990 कमल अहमदाबाद |53. छान्दोग्योपनिषद् सानुवाद, शांकर - | गोविन्द भवन, गीता वि.सं. भाष्यसहित प्रेस, गोरखपुर 2505 2052


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