Book Title: Jain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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क्र. ग्रन्थ का नाम
128. व्यवहारभाष्य
129. व्यवहारभाष्य
130. वरांगचरित
131. वसुनंदीश्रावकाचार
132. विपाकसूत्र
133. विधिमार्गप्रपा
134. विधिमार्गप्रपा
135. विशेषावश्यकभाष्य (स्वोपज्ञवृत्ति)
136. विशेषावश्यकभाष्यम् (भा. 1-2 ) ( मलधार टीका)
137. विशेषावश्यकभाष्य (भा.1-3) मलधारी हेमचन्द्रकृत वृत्ति
138. विंशतिविंशिका
139. समणसुत्तं
140. समवायांगसूत्र
| लेखक / संपादक
आ. महाप्रज्ञ
अनु. मुनि दुलहराज
आ. जटासिंहनन्दि
मुनि सुनीलसागर
सं. मधुकरमुनि
रचित जिनप्रभसूर
अनु. सौम्यगुणाश्री
आ. जिनभद्रगणि, संपा. दलसुख मालवणिया
सं. राजेन्द्र विजयजी
सं. गणि वज्रसेनविजय
सं. धर्मरक्षितविजय
पं. कैलाशचन्द्रजी
शास्त्री
सं. मधुकरमुनि
प्रयुक्त ग्रन्थ सूची ...467
वर्ष
जैन विश्व भारती, लाडनूं 2004
जैन विश्व भारती, लाडनूं 2004
1996
प्रकाशक
भारतवर्षीय अनेकांत
विद्वतपरिषद्
पार्श्वनाथ विद्यापीठ,
वाराणसी
आगमप्रकाशन समिति,
प्राकृतभारती अकादमी, जयपुर
श्री महावीर स्वामी | देरासर पायधुनी, मुंबई
भारतीय संस्कृत विद्या मंदिर, अहमदाबाद
जैन श्वे. मू. ज्ञानोद्धार
ट्रस्ट अहमदाबाद
भद्रंकर प्रकाशन, शाहीबाग,
अहमदाबाद
दिव्यदर्शन ट्रस्ट, धोलका
सर्व सेवा संघ प्रकाशन, राजघाट, वाराणसी
आगमप्रकाशनसमिति,
ब्यावर
1999
1992
2000
2005
1966
वि.सं.
2489
वि.सं.
2053
वि.सं.
2054
1975
1991
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