Book Title: Jain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 535
________________ क्र. ग्रन्थ का नाम 153. सिद्धांतसारसंग्रह 154. सुभाषितरत्नसंदोह 155. सुबोधासामाचारी 156. सूत्रकृतांगसूत्र 157. सेनप्रश्न 160. संबोधसत्तरि (सार्थ) 161. संस्कृतहिन्दीकोश 162. श्रमणसूत्र 163. श्रमणाचार लेखक/संपादक | नरेन्द्रसेनाचार्य 164. श्रमण प्रतिक्रमण 165. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र (प्रबोध टीका) (भा.1-3) अनु. पं. बालचन्द्र सिद्धांतशास्त्री | श्रीचन्द्राचार्य सं. मधुकरमुनि विजयसेनसूरि संपा. अमितयशविजय | वामनशिवराम आप्टे उपा. अमरमुनि प्रयुक्त ग्रन्थ सूची ...469 वर्ष पं. लाडली प्रसाद जैन प्रकाशक 158. स्थानांगसूत्र सं. मधुकरमुनि 159. स्थानांगटीका (भा. 1-2) टीका. अभयदेवसूरि आगमोदय समिति, सूरत जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर जैन संस्कृति संरक्षकसंघ, सोलापुर जीवनचंद साकरचंद, | जवेरी बाजार, मुंबई आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर श्री मुलुंड श्वे. मूर्तिपूजक जैन संघ, मुलुंड, मुंबई आगमप्रकाश समिति, ब्यावर मोतीलाल बनारसीदास, | दिल्ली सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा सं. आ. महाप्रज्ञ सं. भद्रकरविजयगणि जैन साहित्य 1957 विकासमंडल, वलेपार मुंबई 1977 1980 1991 1994 1991 वि.सं. 1976 1966 ताराचन्द अजमेरा, दिल्ली | जैन विश्व भारती, लाडनूं 1995 2000 1966 1989

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