Book Title: Jain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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190... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक
भी श्रावक के बारहव्रत स्वीकार करते हैं, ऐसा निर्देश है। 127
राजप्रश्नीयसूत्र में प्रदेशी राजा के क्रूर एवं शान्त दोनों पक्षों का चित्रण हु केशी श्रमण मुनि के सत्संग से वह उत्कृष्ट कोटि का श्रावक बन जाता है, यह वर्णन किया गया है। 128
करते
उत्तराध्ययनसूत्र में गृहस्थ धर्म के सम्बन्ध में कोई विस्तृत चर्चा नहीं है, परन्तु जो गृहस्थ जीवन को हेय समझते हैं और कहते हैं कि उनका प्रत्येक आचरण पापमय है, उसका भगवान महावीर ने समुचित उत्तर दिया है। वे गृहस्थ श्रावकों को श्रमणभूत शब्द से सम्बोधित करते हैं और कहते हैं कि कुछ श्रावक श्रमण की अपेक्षा भी उत्तम संयम का पालन करते हैं।
दशाश्रुतस्कंध के छठवें उद्देशक में बारहव्रत की चर्चा तो नहीं की गई है, किन्तु उपासक की ग्यारह प्रतिमाओं का नाम सहित उल्लेख किया गया है।
आवश्यकसूत्र में षडावश्यक की चर्चा करते हुए सम्यक्त्व के साथ बारहव्रतों के अतिचारों का वर्णन किया गया है और साथ ही संलेखना के अतिचारों का भी वर्णन प्राप्त होता है।
आगम साहित्य के पूर्व विवेचन के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि आगम साहित्य में जैन श्रावक बनने के लिए एक निश्चित विधि सम्पन्न करने का वर्णन प्राप्त नहीं होता है, केवल उपासकदशासूत्र में व्रत ग्रहण के आलापक(दंडक) दिए गए हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि आगमयुग में पूर्वोक्त हिंसादि पापकार्यों का एक देश त्याग करने की प्रतिज्ञा करने वाले तथा सामायिक आदि चार शिक्षाव्रतों को धारण करने वाले व्यक्ति को जैन-धर्म में श्रावक मान लिया जाता था।
आगम युग के अनन्तर नियुक्ति, भाष्य और चूर्णि - साहित्य में भी व्रत विषयक विधि-विधान के सम्बन्ध में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती है, केवल कुछ स्थलों पर यत्किंचित् प्रकाश डाला गया है।
जहाँ तक मध्यकालीन जैन साहित्य का प्रश्न है, वहाँ श्वेताम्बर - परम्परा सम्बन्धी ग्रन्थों में सर्वप्रथम आचार्य उमास्वातिकृत तत्त्वार्थसूत्र (पहली से तीसरी शती) के सातवें अध्याय में बहुत ही संक्षेप में श्रावकों के व्रत, उनके अतिचार एवं संलेखना सम्बन्धी अतिचारों का प्रतिपादन किया गया है। उसके बाद आचार्य हरिभद्रसूरि कृत ( 8वीं शती) धर्मबिन्दु प्रकरण में श्रावक के सामान्य