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(१८) (२६) लेखकको प्रशस्ति
..... ..... .... २५२ (२७) बोद्ध जैन शब्द समानता ..... .... .... २९६ (२८) जैन प्रन्थों के श्लोकादिकी सूची, जो इस ग्रन्थ में है.... २९६
शुद्धिपत्र। पृ० ला. अशुद्ध
सर्व नय सर्वे रूप
उत्पन्न भव उत्पन्न मव मानव बढ़ता है १२ १२
सेवासव
सर्वासव १४ १७ मज्ञान रोम मज्ञान होने १५ १८ प्रीएि प्रीति मुक्त
युक्त मुक्त
युक्त २० ६
युक्त २० ९ तित्त २३ १७ . जिससे जिसे २५ ३ मान
भाव २६ ६ न कि
जिससे ३२ ११ हमने
विषय्य ३५ २३ कर ३७ १२ .. मुक्त ३८ १६ निस्सण निस्सरण ११. ३ . निर्मल
मुक्त
चित्त
इसने
विष्य
युक्त
निर्वक
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