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विषय
लोगोंसे व्रतादिक धारण करना राजा श्रेणिक गौतम गणधरसे तीर्थंकरों, चक्रवर्तियों, बलभद्रों, नारायणों तथा प्रतिनारायणोंके चरित, वंशोंको उत्पत्ति और लोकालोक विभागके निरूपणके लिए प्रार्थना करते हैं
चतुर्थ सर्ग
अलोकाकाश और लोकाकाशका स्वरूप तथा
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२७-४०
उसका आकार
अधोलोक और ऊर्ध्वलोकका विस्तार तथा वातवलयोंका वर्णन व विस्तार अधोलोककी सात पृथिवियों का वर्णन, रत्नप्रभा पृथिवीके खरभाग और पंकभागका निरूपण
हरिवंशपुराणे
विषय
नरक तक उत्पन्न होते हैं ? प्रथमादि पृथिवियोंमें लगातार उत्पन्न होना, किस पृथिवीसे निकला हुआ नारकी क्या होता क्या नहीं होता आदिका वर्णन तथा अधोलोकके वर्णनका समारोप
४०-४१
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४२
४२-४५
४५-४६
अब्बहुल भागमें नारकियोंके बिलोंका वर्णन, सातों पृथिवियोंके पटलोंका वर्णन, घर्मा पृथिवी के प्रस्तार क्रमसे बिलोंका वर्णन द्वितीयादि पृथिवीके बिलोंका वर्णन प्रथमादि पृथिवियोंके महानरकों का वर्णन तथा बिलोंका विस्तार प्रथमादि पृथिवियोंके इन्द्रकबिलोंका विस्तार ५४-५७ घर्मा आदि पृथिवियों के इन्द्र कबिलोंकी मोटाई प्रथमादि पृथिवियों के बिलोंका परस्पर अन्तर ५७-५८ प्रथमादि पृथिवीके प्रस्तारोंमें जघन्य तथा उत्कृष्ट आयुका वर्णन
५२-५३
५७
५८-५९
प्रथमादि पृथिवी में नारकियोंकी ऊँचाईका वर्णन
प्रथमादि पृथिवियोंमें अवधिज्ञानका विषय, मिट्टी की दुर्गन्ध, लेश्याओं का वर्णन, उष्ण और शीतकी बाधा, उपपाद स्थानों का वर्णन प्रथमादि पृथिवियोंके नारकी उपपाद स्थानोंसे गिरनेपर उछलना, असुरकुमारकृत बाधा, नारकियोंके परस्परकृत दुःख, नारकियों के परिणाम, वेद और संस्थानका वर्णन आगामी कालमें तीर्थंकर होनेवाले नारकियोंकी विशेषता, प्रथमादि पृथिवियों में नारकियोंके उत्पत्ति सम्बन्धी अन्तर कौन जीव किस
४७-४९
४९-५२
६२-६३
६६-६७
६७-६८
पंचम सगं
तिर्यग्लोककी व्याख्या, जम्बूद्वीपके मेरुक्षेत्र, कुलाचलादिका विस्तार तथा भरतक्षेत्र के विजयार्ध, हिमवत्कुलाचल, हेमवतक्षेत्र, महाहिमवत्कुलाचल, हरिवर्षक्षेत्र, निषध कुलाचल, विदेहक्षेत्र, नील कुलाचल, रुक्मी पर्वत, शिखरिकुलाचलका वर्णन, ऐरावतक्षेत्र सम्बन्धी विजयार्ध, अन्तिम भागोंमें स्थित वनखण्ड और वाटिकाएँ कुलाचलोंके सरोवर, उनकी गहराई, कमल, कमलों में रहनेवाली देवियाँ तथा सरोवरोंसे निकलने वाली नदियोंका वर्णन पद्मसरोवरसे निकलनेवाली गंगा, सिन्धु और रोहितास्या नदियोंके निर्गमन-द्वार तथा प्रवाह आदिका वर्णन
सिन्धु नदीकी गंगा नदीके साथ समानता, अन्य नदियोंके निर्गमन और प्रवाह तथा हैमवत आदि क्षेत्रों में स्थित नाभिगिरि पर्वतोंका वर्णन जम्बूद्वीपके समान धातकीखण्ड द्वीप के क्षेत्रकुलाचल आदिका वर्णन, द्वितीय जम्बूद्वीप, विदेहक्षेत्र के अन्तर्गत देवकुरु और उत्तरकुरुका वर्णन
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जम्बूवृक्ष और शाल्मली वृक्षका वर्णन तथा नीलादि कुलाचलों और सीता आदि नदियोंके समीप स्थित कूटों, हृदों तथा उनमें रहनेवाले देवोंका वर्णन
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७०-७७
विदेहक्षेत्र के वक्षारगिरि पर्वत, भद्रशाल वन और उसकी वेदिकाका वर्णन
विभंगा नदियोंका वर्णन
जम्बूद्वीप सम्बन्धी विदेहक्षेत्र के बत्तीस भेद, उनकी राजधानी आदिका वर्णन
७७-७८
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