Book Title: Bharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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जैन तीर्थ, इतिहास, कला, संस्कृति एवं राजनीति है । यहाँ पर श्री पार्श्वनाथ स्वामीकी मनोज्ञ मूर्ति है। इसका बायाँ पैर खण्डित है। गुफामें अन्य भी खण्डित मूर्तियाँ हैं, गुफाके भीतरके पाषाण पटमें ६ पद्मासन मूत्तियाँ हैं, नीचे यक्षिणीकी मूत्ति लेटी है । इस पटके नीचे एक लेख प्राचीन लिपिमें है।
प्रचार पदा
गया जिलेमें औरंगाबाद की सीमाके पूर्व की ओर रफीगंजसे दो मील की दूरी पर प्रचार या पछार नामक पहाड़ है । यहाँ पर एक गुफाके बाहर वेदीमें पार्श्वनाथ स्वामी की मूर्ति विराजमान है । इसके आस-पास तीर्थकरों की अन्य प्रतिमाएँ है । इस पहाड़ की जैनमूर्तियों के ध्वंसावशेषोंको देखनेमे प्रतीत होता है कि प्राचीन कालमें यह प्रसिद्ध तीर्थ रहा है । सामान्य तीर्थ
आराकी प्रसिद्धि नन्दीश्वरदीपकी रचना, श्री स. मेदशिखरकी रचना, श्री गोम्मटेश्वरको प्रतिमा, मानस्तम्भ, श्री जैनसिद्धान्त-भवन और श्री जैन-बाला-विश्रामके कारण है। गया अपने भव्य जैन मन्दिरके कारण; छपरा अपने शिखरबन्द मन्दिरके कारण; भागलपुर अपने भव्य मन्दिर तथा चम्पापुरके निकट होने के कारण, हजारीबाग श्री सम्मेदशिखरके निकट होनेके कारण प्रसिद्ध हैं। इसी प्रकार ईसरी, गिरिडीह, कोडरमा, रफीगंज आदि स्थान भी साधारण तीर्थ माने जाते हैं। विहार शरीफका छोटा-सा पुराना मंदिर भी प्राचीन है । इस प्रकार विहारके कोने-कोने में जैनतीर्थ हैं । यहाँका प्रत्येक वन, पर्वत और नदी-तट तीर्थङ्करोंकी चरणरजसे पवित्र है।