Book Title: Bharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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भारतीय संस्कृतिके विकासमें जैन वाङमयका अवदान
पद्मप्रभ स्वामीके निर्वाण कल्याणके सम्बन्धमें वर्णन करते हुए तिलोयपण्णत्तिमें फाल्गुन कृष्णा' चतुर्थीके दिन अपराह्नकालमें चित्रा नक्षत्रके रहते हुए सम्मेद शिखरसे तीनसो चौबीस मुनियों सहित मोक्ष प्राप्त करना लिखा है। उत्तरपुराणमें भी इसी तिथि और नक्षत्रका उल्लेख है । कवि वृन्दावनने फाल्गुन कृष्णा चतुर्थी और मनरंगने फाल्गुन कृष्ण सप्तमी तिथिको निर्वाणलाभ-तिथि कहा है। गणनानुसार फाल्गुन कृष्णा चतुर्थीको चित्रा नक्षत्र आ जाता है; क्योंकि उस समय माघी पूर्णिमाको मघा नक्षत्र था उससे आगे तिथि और नक्षत्र गणना करनेसे फाल्गुन कृष्णा चतुर्थीको चित्रा नक्षत्रको स्थिति समीचीन दिखलायी पड़ती है । अतः कवि मनरंगको तिथि अशुद्ध है, इस तिथिको निर्वाणका नक्षत्र नहीं आता है । अतएव भगवान् पद्मप्रभ स्वामीका निर्वाण कात्तिक कृष्णा चतुर्थीको हुआ है ।
१. फग्गुण किण्हचउत्थी अवरले जम्मभम्मि सम्मेदे ।
चउवीसाधियतियसयसहिदो पउमप्पहो देवो ।-तिलोय० ४-५१९० २. फाल्गुने मासे चित्रायां चतुर्थ्यामपराहगः ।। ___कृष्णपक्षे चतुर्थेन समुच्छिन्नक्रियात्मना ।।-उत्तर० ५२-६७ ३. असितफागुन चौथ सुजानियो।-वृन्दावन चौबीसी विधान ४. बदी सात जानौं सुभग महिना फागुण कहा-सत्यार्थयज्ञ