Book Title: Bharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
Publisher: Prachya Shraman Bharati
View full book text
________________
ज्योतिष एवं गणित
२९७ तो इस संस्थान वाला व्यंक्ति आविष्कारक, मौलिक, प्रतिभावान, तात्विक और बौद्धिक गुणोंसे सम्पन्न होता है । यदि ब, स से अ-स रेखा एक इंचसे अधिक बड़ी हो तो इस संस्थानका व्यक्ति उच्चकोटिका न्यायशील और राष्ट्रका महान् नेता होता है । पूज्य राष्ट्रपिता महात्मा गाधी के मस्तकका संस्थान उपर्युक्त ही था । यदि अ-स रेखा ब-स रेखासे अधिक है, अर्थात् आयतन उन्नत भागसे अधिक है तो व्यक्ति व्यवहार कुशल, दक्ष और शासनपटु होता है । इस प्रकारका संस्थान प्रधानमंत्री था मुख्य मन्त्री होनेका सूचक है । यहाँ यह ध्यातव्य है कि चौड़ाईसे ऊँचाईमें कमसे कम एक इंचका अन्तर अपेक्षित है । इस अन्तरके न्यूनाधिक होने से फलादेश में भी अन्तर हो जाता है ।
यदि ऊँचाई और निचाई समान हैं या उनमें बहुत ही अन्तर है अथवा आधार रेखासे अर्थात् आयतनसे कर्ण रेखा अर्थात् उन्नत रेखा लम्बी हो तो व्यक्तिके चरित्रमें उन रेखाओंके अनुपातानुसार गुणोंका बोध होता है । इस प्रकारसे संस्थानका विचार विविध रूपोंमें किया गया है । सुव्यवस्थित संस्थानके लिए आयतन और उन्नत भागकी समानता अपेक्षित है । इसमें जितनी हीनाधिकता रहती है, उतना ही व्यक्तिका चरित्र अस्थिर माना जाता है । हमने पूर्व में जिस त्रिभुजकी चर्चाकी है उसकी अब रेखामें द बिन्दुपर दो भाग किये गये हैं । यदि अ द बराबर द ब के हो तो धारणाशक्ति और प्रबन्ध शक्तिकी विशेषता प्रकट होती है। आदर्श सिरकी परिधि सामान्यतः २२ ।। इंच मानी गयी है । यह परिधि द बिन्दुसे घूम कर पुनः द बिन्दु तक होनी चाहिए । संस्थान के सम्बन्ध में अंग, उपांग और आंगोपांग इन तीनोंका विचार किया है । पूर्वोक्त त्रिभुजकी आकृति निम्न प्रकार है
व
द
स
स्पष्ट है कि संस्थान में आयतन, आयाम, नतोन्नत और गाम्भर्य सम्मिलित हैं । मस्तक, नीचे की ओर चौड़ा हो और ऊपरकी ओर छोटा हो तो व्यक्ति झक्की होता है। नीचे, चपटे और चौड़े मस्तक में विचार, कार्यशक्ति और कल्पनाकी कमी और उदारताका अभाव रहता है । चोड़ा और ढालू मस्तक होनेसे व्यक्ति चालाक, चतुर और गम्भीर होता है। उन्नत और चौड़े ललाट वाले व्यक्ति विद्वान् होते हैं । ऊँचा सीधा और आभापूर्ण ललाट होनेपर लेखक, कवि, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री होनेकी सूचना प्राप्त होती है ।
आभा विचार
इस सिद्धान्तके अन्तर्गत अवयवोंकी आभाका भी विचार किया गया है । आभाका वही महत्व है जो सुन्दर और भव्य भवन में रंगाई और पुताईका हैं आभा रहनेसे व्यक्तिके व्यक्तित्व
३८